सूर्य अपने सौर अधिकतम तक पहुंच गया है. अंतरराष्‍ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने हाल ही में घोषणा की है. 

वैज्ञानिकों के अनुसार, साल 2024 में सूरज अपनी सोलर साइकिल के चरम पर होगा जो धरती के लिए चिंता की बात है.

आपको बता दें लगभग हर 11 साल में सूरज का उत्तर और दक्षिण पोल आपस में अपनी जगह बदल लेते हैं, जिसे 'सौर चक्र' कहा जाता है. 

इस साइकिल के बीच के समय को Solar maximum कहते हैं. तब सूरज की सतह की गतिविधियां अपने चरम पर होती हैं.

इस समय सूरज से निकलने वाली तीव्र से पृथ्वी पर भी काफी अधिक प्रभाव देखने को मिलता है.

ऐसे में आइए जानते हैं सूर्य अपनी गतिविधियों में बदलाव क्यों करता है और इसका पृथ्वी पर प्रभाव क्या होता है. 

सूर्य के भीतर संचालित होने वाले गतिशीलता के कारण सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र समय के साथ बदलता है. 

लगभग हर 11 साल में यह चुंबकीय क्षेत्र उलटता है, जिससे सनस्पॉट की संख्या और गतिविधियां बढ़ जाती हैं.

सौर अधिकतम के समय, सनस्पॉट की संख्या सबसे ज्यादा होती है, जबकि सौर न्यूनतम के समय सनस्पॉट की संख्या कम होती है. 

सूर्य की गतिविधियों में बढ़ने से सौर तूफान पैदा हो सकते हैं, जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं. यह पृथ्वी पर रेडियो संचार, GPS, पावर ग्रिड और सैटेलाइट्स पर असर डाल सकते हैं. 

सौर गतिविधियों की रेडिएशन अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है. कुछ अध्ययनों के अनुसार, सूर्य की गतिविधियों का जलवायु पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है.