हिन्दू धर्म के कई चमत्कारी और ऐतिहासिक मंदिर है, जिन्हें लेकर कई तरह की कहानियां और दावे प्रचलित हैं.

इन्हीं मंदिरों में से एक है कर्नाटक के हासन जिले में स्तिथ हसनंबा मंदिर. यह मंदिर साल में एक बार ही खुलता है. 

यह मंदिर दीपावली पर 7 दिनों के लिए खोला जाता है और बालीपद्यमी के उत्सव के तीन दिन बाद बंद कर दिया जाता है.

जिस दिन इस मंदिर के कपाट को बंद किया जाता है, उस दिन मंदिर के गर्भगृह में शुद्ध घी का दीपक जलाया जाता है.

साथ ही मंदिर के गर्भगृह को फूलों से सजाया जाता है और चावल से बने व्यंजनों को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है.

स्थानीय लोग बताते हैं कि जब अगले साल इस मंदिर के कपाट खुलते हैं, तब मंदिर के पुजारियों को वह दीया जलता मिलता है, साथ ही फूल और प्रसाद भी ताजा रहते हैं. 

यह मंदिर बेंगलुरु से 180 किमी दूर है. इसे 12वी शताब्दी में बनवाया गया था. इस जगह को पहले सिहमासनपुरी के नाम से जाना जाता था. 

प्राचीन कथाओं के अनुसार इस मंदिर की कहानी राक्षस अंधकासुर से जुड़ी हुई है. कहते हैं पहले यहां उसी का राज था और उसे ब्रह्मा जी से अदृश्य होने का वरदान प्राप्त था.

इस वरदान को पाकर उसने अपनी शक्तियों से ऋषि, मुनियों और मनुष्यों को काफी परेशान करता था, जिसके बाद भगवान शिव ने उसका वध करने का फैसला किया.

अंधकासुर का रक्त जब जमीन पर गिरता तो उसकी हर एक बूंद से दूसरा राक्षस पैदा हो जाता है. तब शिव जी ने योगेश्वरी देवी का निर्माण किया.

अंत में योगेश्वरी देवी ने राक्षस अंधकासुर का वध कर इस धरती को उसके पाप से मुक्त कराया. ये मंदिर योगेश्वरी देवी को समर्पित है.