Govardhan puja 2024: आपको मालूम है गोवर्धन पूजा में अन्नकूट का क्या महत्व है? यहां जानें

हिंदू धर्म में हर त्योहार का अपना महत्व माना गया है. दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की परंपरा सदियों से चली आ रही है. 

हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है. इस दौरान घर के बाहर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है. 

गोवर्धन पूजा में गायों की पूजा का भी विशेष महत्व है. इस दिन भगवान कृष्ण ने वृंदावन के लोगों को वर्षा देवता इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए एक दिव्य कार्य किया था.

इस बार गोवर्धन शनिवार, 02 नवंबर को मनाया जाएगा, क्योंकि कार्तिक अमावस्या 01 नवंबर तक रहने वाली है. वहीं गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाता है. 

ऐसे में प्रतिपदा तिथि 01 नवम्बर को शाम 06 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है. वहीं, इस तिथि का समापन 02 नवंबर को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा. 

आप सभी गोवर्धन पूजन में शामिल होते होंगे लेकिन शायद आप में से कुछ लोगों को नहीं पता होगा कि गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है.

दिवाली के ठीक अगले दिन की जाने वाली पूजा को गोवर्धन पूजा कहते हैं. भारत के कई राज्यों में गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है. 

इस दिन घरों में अन्नकूट का भोग बनाया जाता है. गोवर्धन पूजा के दिन हर घर में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की प्रतिमा बनाई जाती है और पूरे परिवार के साथ पूजा अर्चना की जाती है. 

मान्यताओं के अनुसार, गोवर्धन पर्वत के नीचे ब्रजवासियों ने 7 दिन बिताए थे उस समय भी लोग अन्न और फल एकत्रित करते थे और फिर साथ मिल बांटकर खाते थे. तब से लेकर अब तक गोवर्धन पूजा का उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा.