हर साल दिवाली के दिन प्रदोष काल के समय गणेश-लक्ष्मी जी की नई मूर्ति स्थापित करके विधिवत पूजा अर्चना की जाती है. इसके साथ ही अपने आसपास के अंधकार को मिटाने के लिए दीपक जलाए जाते हैं.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति चौकी में स्थापित करते समय उनकी दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए. सही दिशा में मूर्ति न होने से अशुभ फलों की प्राप्ति होती है.

दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखते समय इस बात का ध्यान रखें कि उन्हें पूत्रव दिशा में इस तरह रखें कि उनका मुख पश्चिम दिशा की ओर हो. 

बता दें कि दिशा को देवी-देवता की दिशा मानी जाती है. ऐसे में इस दिशा में मूर्ति रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. 

ज्योतिषियों के अनुसार, मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा गया है. वहीं, गणेश जी को बुद्धि के देवता कहा जाता है. धार्मिक परिपेक्ष्य से धन और बुद्धि का एक साथ होना आवश्यक है.

मां लक्ष्मी की पूजा से आर्थिक संपन्नता मजबूत होती है, जबकि भगवान गणेश जी पूजा से सुख—समृद्धि व बुद्धि की प्राप्ति होती है. इसलिए मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. 

लेकिन, क्या आप जानते हैं माता लक्ष्मी भगवान गणेश जी के दाहिनी ओर क्यों विराजती है? आइए आपको बताते हैं.

माता लक्ष्मी की मूर्ति सही दिशा में रखने के साथ इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि वह गणेश जी के बगल में किस ओर रखें. अधिकतर लोग भगवान गणेश के बाएं ओर लक्ष्मी जी की मूर्ति रख देते हैं, जो बिल्कुल गलत है. 

दरअसल, बाएं ओर पत्नी का स्थान होता है. इसी के कारण उन्हें वामांगी कहा जाता है. लेकिन मां लक्ष्मी भगवान गणेश के लिए मां के समान है. इसलिए उन्हें हमेशा गणेश जी के दाएं ओर स्थापित करना चाहिए.