दिवाली का त्योहार बेहद ही शुभ माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल यह पर्व 31 अक्टूबर, 2024 को मनाया जाएगा. 

भारत के कई राज्यों में दीपावली की पर लक्ष्‍मी और गणेश की पूजा करते हैं. लेकिन पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम में इस अवसर पर मां काली की पूजा होती है. 

इन राज्यों में यह पूजा अर्धरात्रि में की जाती है. लेकिन आखिर काली पूजा क्यों और कैसी होती है? आइए आपको बताते हैं. 

मान्यताओं के अनुसार दिवाली पर अमावस्या होती है और इस दिन उड़ीसा, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में माता काली की विधि-विधान से पूजा होती है. 

इसी दिन काली माता की लगभग 60 हजार योगिनियों एकसाथ प्रकट हुई थीं इसलिए दिवाली के दिन यह पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. 

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यह पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है और काली माता जीवन में सुख-शांति प्रदान करती हैं. 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, राक्षस को मारने के बाद जब महाकाली का क्रोध कम नहीं हुआ, तो उग्र मां काली को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए. 

भगवान शिव के शरीर को छूने से देवी महाकाली का क्रोध समाप्त हो जाता है. इसी के उपलक्ष्य में उनके शांत रूप लक्ष्मी की पूजा शुरू हुई. 

लेकिन कुछ राज्यों में उसी रात उनके उग्र रूप काली की पूजा करने की भी परंपरा है. काली पूजा करने से बुरी शक्तियों का अंत होता है. 

इसके साथ ही साधक को भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है. इन सभी कारणों की वजह से काली माता की पूजा को दिवाली पर करना बहुत शुभ माना जाता है.