मदरसों का इतिहास समझने के लिए हमें अतीत में करीब 1000 साल पीछे जाना होगा. इस्लाम के इन स्कूलों का इतिहास कभी वैभवशाली भी रहा था.

दरअसल, ‘मदरसा’ एक अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब होता है पढ़ने का स्थान. मदरसे एक तरह से इस्लामिक विद्यालय हैं. 

आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि एक वक्त ऐसा भी था, जब भारत के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, राजा राममोहन राय ने इन्हीं मदरसों से अपनी शुरुआती शिक्षा हासिल की थी. 

हालांकि भारत में अगर मदरसों की शुरुआत की बात करें, तो इनकी स्थापना मुगल काल के समय हुई थी. यह मुस्लिम समुदाय की जिंदगी का अहम हिस्सा रहे हैं. 

रिपोर्ट के अनुसार भारत में पहला मदरसा 1191-92 ई. में अजमेर में खोला गया था. उस समय मोहम्मद गौरी का शासन हुआ करता था. हालांकि UNESCO बताता है कि भारत में 13वीं शताब्दी में भारत में मदरसों की शुरुआत हुई.

मुगल सम्राटों ने मदरसों को प्रोत्साहन दिया, खासकर अकबर ने, जिन्होंने विभिन्न विषयों को शामिल करते हुए मदरसों का एक व्यापक नेटवर्क स्थापित किया. 

अंग्रेजों ने मदरसों पर नियंत्रण स्थापित किया और उन्हें ‘ओरिएंटल कॉलेज’ में बदल दिया, जहां फारसी और अरबी भाषाओं के साथ-साथ कानून और राजनीति भी पढ़ाई जाती थी. 

आजादी के बाद भारत में मदरसों का आधुनिकीकरण हुआ, और कई मदरसों ने आधुनिक शिक्षा को अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया.