छठ पूजा का पर्व लोक मान्यता का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है. चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व के दौरान महिलाएं 36 घंटे का व्रत रखती हैं और सूर्य भगवान की पूजा करती हैं. 

लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पर्व साल में दो बार होता है? एक बार कार्तिक माह में और दूसरा चैत्र माह में. इन दोनों पर्वों के बीच कुछ अंतर और समानताएं होती हैं. 

कार्तिक माह में पड़ने वाली छठ पूजा में माता पार्वती की पूजा का विधान है. वहीं, चैत्र माह में पड़ने वाली छठ पूजा में माता सीता की पूजा की जाती है. 

कार्तिक माह में जो छठ पूजा आती है उस दौरान नहाय-खाय का महत्व बहुत अधिक होता है. वहीं, चैती छठ में नहाय-खाय को सामान्य पूजा में गिनते हैं. 

कार्तिक माह को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. कार्तिक माह की छठ पूजा में भगवान सूर्य के साथ उषा देवी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. 

वहीं चैत्र माह में पड़ने वाली छठ पूजा के दौरान भगवान सूर्य के साथ छठी मैया की आराधना करने का विधान है. इस दौरान उषा देवी की पूजा नहीं होती है. 

यूं तो चैत्र और कार्तिक दोनों महीनों में पड़ने वाली छठ पूजा बहुत विशेष है और दोनों में ही ठेकुआ, मिठाई, फल आदि प्रसाद में बाटें जाते हैं. 

हां, मगर दोनों छठ पर्वों में महीने का और सूर्य भगवान के साथ अलग-अलग देवी की पूजा का अंतर जरूर है. लेकिन दोनों छठ संतान के लिए होती है. 

छठ पूजा के दौरान घर की साफ-सफाई करना अति आवश्यक होता है. इस दौरान आचार-विचार को शुद्ध रखने के लिए सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए.