भारत और इंग्लैंड के बीच 5 मैचों की टेस्ट सीरीज का आगाज हो चुका है.

Aeroplane में बहुत सारी लाइट्स लगी होती हैं, हर लाइट्स को लगाने का अलग-अलग मकसद होता है.

इनमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं नेविगेशन, एंटी-कॉलिजन बीकन, और स्टोब लाइट्स, जो अलग-अलग कार्यों के लिए होती हैं.

जब Aeroplane जमीन पर दौड़ रहा होता है तो टैक्सी लाइट का प्रयोग किया जाता है, जो 150 volts की होती है.

लैंडिंग टाइम में उपयोग में ली जाने वाली लाइट्स को हेडलाइट्स कहते हैं जो लगभग 600 वाट की होती है, इसे 100 मील दूर से भी देखा जा सकता है.

लैंडिंग लाइट्स का उपयोग टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान होता है, जिससे विमान की दिशा और उपस्थिति स्पष्ट रहे.

लैंडिंग लाइट्स जहाज के नाक के पास या पंखों के बाहरी हिस्सों में लगाई जाती हैं.

इन लाइट्स में विद्युत की खपत ज्यादा होती है जिसके लिए विमान में स्पेशन जनरेटर और विशेष बैटरी का उपयोग करना पड़ता है.

तेज लाइट होने के कारण सावधानियों के साथ इसको प्रयोग में लिया जाता है.

आपात स्थिति में इन लाइट्स की मदद से अन्य विमानों और ग्राउंड कर्मियों को संकेत भी दिया जाता है.

एंटी कोलिजन बीकन लाइट्स का प्रमुख काम साफ सफाई करने वाले क्रू के लिए होता है, जहाज के इंजन के स्टार्ट होने और बंद होने की सुचना देता है.