क्या आपको मालूम है भारत में कितने प्रकार की हवाएं बहती हैं? यहां पर जानें

पहला स्थायी हवाएं. ये वो हवाएं हैं, जो पृथ्वी के वायुदाब और तापमान की असमानता के कारण निरंतर एक निश्चित दिशा में बहती रहती हैं.

दूसरी ट्रेड विंड. ये हवाएं भूमध्य रेखा से 30° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांश तक बहती हैं. ये हवाएं भारतीय उपमहाद्वीप के मौसम पर प्रभाव डालती हैं.

आसान भाषा में कहें तो ये हवाएं मानसून के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में बारिश लाने में सहायक होती हैं.

पश्चिमी शीतल हवाएं (Westerlies). ये हवाएं 30° और 60° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के बीच बहती हैं. ये हवाएं पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर बहती हैं और सर्दी के मौसम में भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करती हैं.

इन हवाओं के बारे में कहा जाता है कि ये ठंडे और शुष्क मौसम को लाती हैं. खासतौर से उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में, जिससे सर्दी बढ़ जाती है.

पूरब-पश्चिमी हवाएं (Polar Easterlies). ये हवाएं ध्रुवीय क्षेत्रों से उठती हैं और 60° अक्षांश के आस-पास बहती हैं. ये हवाएं ज्यादा ठंडी होती हैं और सर्दी में भारत में ठंडी हवा को बढ़ाती हैं.

मानसूनी हवाएं. मानसून हवाएं दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्व मानसून के रूप में भारतीय उपमहाद्वीप में आती हैं.

ये हवाएं जून से सितंबर महीने तक भारतीय उपमहाद्वीप में आ जाती हैं. इन हवाओं का काम होता है कि ये हवाएं भारतीय महासागर से पानी और नमी लेकर आती हैं और भारी वर्षा कराती हैं.

उत्तर-पूर्व मानसून हवाएं. उत्तर-पूर्व मानसून हवाएं, नवंबर से दिसंबर तक दक्षिण भारत में सक्रिय रहती हैं, जो मुख्य रूप से तमिलनाडु और आसपास के क्षेत्रों में बारिश का कारण बनती हैं.

सर्दी की हवाएं. सर्दी की हवाएं मुख्य रूप से उत्तर से दक्षिण की दिशा की ओर बहती हैं. सर्दी में ये हवाएं ठंडी और शुष्क होती हैं, जो भारत के उत्तर और मध्य क्षेत्रों में सर्दी के मौसम को बढ़ाती हैं.