क्या आपको पता है कि हिंदुओं में महिलाओं का श्मशान घाट पर जाना क्यों वर्जित है? वे अंतिम संस्कार करने क्यों नहीं जातीं?
अक्सर आपने देखा होगा कि अंतिम संस्कार में केवल पुरुष ही शामिल होते हैं, और महिलाएं श्मशान घाट पर नहीं जातीं
कहते हैं कि श्मशान घाट में महिलाओं के रोने की आवाज से मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति नहीं मिलती है
अंतिम संस्कार के दौरान नकारात्मक शक्तियां हावी रहती हैं. इसलिए घर को सूना नहीं छोड़ना चाहिए.
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का मन ज्यादा चंचल होता है. मान्यता हैं कि औरतों को रोता देखकर आत्माएं भी रोने लगती हैं.
जब मृत व्यक्ति की चिता जलाई जाती है, तब हड्डियों के अकड़ने की भी आवाज आती है. ये देखकर महिला-बच्चे डर जाते हैं.
मान्यता है कि अंतिम संस्कार के दौरान घर के आस-पास नकारात्मक शक्तियां हावी रहती हैं. इसलिए घर को सूना नहीं छोड़ना चाहिए.
श्मशान घाट से लौटने के बाद पुरुष स्नान करने के बाद घर में प्रवेश करते हैं. तब तक महिलाओं को घर पर ही रहना पड़ता है.
अंतिम संस्कार में परिवार के पुरुषों को मुंडन करवाना पड़ता है
महिलाओं का मुंडन करना शुभ नहीं माना जाता है. इस वजह से भी महिलाओं को अंतिम संस्कार में शामिल नहीं किया जाता है.
बता दें कि हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में 16वां संस्कार अंतिम संस्कार होता है
हिंदुओं में व्यक्ति की मृत्यु के बाद दाह संस्कार की रिवाज निभाई जाती है
मृत व्यक्ति की शव यात्रा निकालने के बाद श्मशान घाट में देह को पंचतत्व में विलीन किया जाता है.