ये है दिल्ली का हॉन्टेड महल, जहां आज भी गूंजती है डरावनी आवाजें, जानें टिकट रेट
देश की राजधानी दिल्ली में घूमने की एक से बढ़कर एक खूबसूरत प्लेस हैं. अगर आप डरावने स्मारक देखना और उनके बारे में वहीं जाकर कहानी सुनना चाहते हैं तो दिल्ली का मालचा महल आपका ठिकाना हो सकता है.
चाणक्यपुरी के जंगल में स्थित मालचा महल अपनी डरानवी स्थिति के कारण लोगों में चर्चा का विषय है. इस महल को 1325 में सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने अपने शिकारगाह के रूप में बनवाया था.
लेकिन 1985 में खुद को अवध के नवाब रहे शाही परिवार का सदस्य होने का दावा करने वाली महिला बेगम विलायल महल अपने परिवार के साथ यहां रहने लगीं.
इसके बाद इस जगह को विलायल महल के नाम से जाना जाने लगा. वह महिला बिना बिजली-पानी के अपने 10-11 कुत्तों के साथ यहां रहती थीं.
मालचा महल में आने के तकरीबन 10 साल बाद 62 साल की उम्र में बेगम विलायल महल ने 1993 में आत्महत्या कर ली. उनके बाद उनके परिवार के अन्य लोग भी यहां एक-एक करके मर गए.
इस परिवार की अंतिम मौत विलायल महल के बेटे अली रजा की 2017 में हुई. उसके बाद से यह जगह सुनसान है. कहा जाता है कि भूख से उनकी मौत हो गई.
माना जाता है कि सूरज डूबने के बाद जंगल के भीतर मौजूद यह स्थान बहुत सुनसान हो जाता है. छत की तरफ जाती सीढ़ियां रात में एक डरावना अनुभव देती है.
साथ ही हिरण, बंदर, उल्लू और चमगादड़ की आवाजें इस अनुभव को रात में और अधिक डरावना बना देती हैं. सरकार ने भी शाम के 7:30 बजे के बाद यहां पर लोगों के जाने पर प्रतिबंध लगा रखा है.
कहा जाता है कि बेगम का अंतिम संस्कार ठीक से नहीं हुआ, इसलिए लोगों को लगता है कि आज भी उनकी आत्मा यहां भटकती है. यहां का सुनसान रास्ता, झाड़ियां और बड़े-बड़े पेड़ बेहद डरावना है.
दिल्ली टूरिजम के मुताबिक, इस महल की सैर करने के लिए शाम 5:30 से 7:00 बजे तक समय निर्धारित किया गया है. जहां प्रत्येक व्यक्ति का एंट्री फीस 800 रुपये तय की गई है.
इसमें एक गाइड और बैग मुहैया कराया जाएगा. बैग में पानी की एक बोतल, जूस, एक फल, टोपी समेत कई चीजें दी जाएंगी.