ये है दुनिया की सबसे लंबी दूरी की ट्रेन, एक टिकट में कर सकते हैं 13 देशों की यात्रा

विदेश घूमने का मन क‍िसका नहीं होता. इस पर लोग लाखों खर्च करते हैं. हनीमून मनाने की बात आए, तो सबके मन में यही खयल आता है क‍ि खर्च क‍ितना भी हो जाए, यात्रा मजेदार होनी चाहिए. 

मगर सोच‍िए अगर आपको एक ऐसी ट्रेन मिल जाए, तो आपको बेहद खूबसूरत पुर्तगाल घुमाए तो पेर‍िस की वाद‍ियों की भी सैर कराए. जी हां, दुन‍िया में एक ट्रेन ऐसी है, जो 13 देशों का सफर कराती है. और क‍िराया भी इतना ज्‍यादा नहीं है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह ट्रेन पुर्तगाल से सिंगापुर तक यात्रियों को ले जाती है. इसे दुन‍िया की सबसे लंबी रेल जर्नी माना गया है. इस यात्रा में कुल 21 द‍िन लगते हैं. 

रास्‍ते में कई तरह की द‍िक्‍कतें आ सकती हैं, इसल‍िए हो सकता है क‍ि महीनों लग जाएं. क्‍योंक‍ि यह ट्रेन 18,755 किलोमीटर का सफर तय करती है. 

यह यूरोप के खूबसूरत देशों में आपको लेकर जाएगी तो साइबेर‍िया के ठंडे इलाकों का भी भ्रमण कराएगी. वहीं एश‍िया के गर्म इलाकों में भी आप घूम पाएंगे.

आपको लग रहा होगा क‍ि इतनी लंबी दूरी है, ट्रेन भी स्‍पेशल है, तो क‍िराया भी बहुत ज्‍यादा होगा. ऐसा बिल्‍कुल भी नहीं है. इस ट्रेन का क‍िराया सिर्फ 1200 अमेर‍िकी डॉलर है. भारतीय रुपये में देखें तो लगभग 1 लाख रुपये. 

यूरोप से लेकर एश‍िया तक का सफर आप महज एक लाख रुपये में कर सकते हैं और वह भी लग्‍जरी ट्रेन में. इसमें आपके खाने पीने रहने का सारा इंतजाम शामिल होता है. 

यह यात्रा बोटेन-वियनतियाने रेल लाइन के खुलने से संभव हुई. जो चीन को साउथ ईस्‍ट एश‍िया से जोड़ता है. यह यात्रा पुर्तगाल के शहर लागोस से शुरू होती है. फ‍िर यहां से स्पेन से उत्तरी इलाकों से होते हुए पेरिस तक जाती है. 

पेरिस से यात्रियों को यूरोप के रास्ते रूस की राजधानी मॉस्को तक ले जाएगी. वहां से यात्री ट्रांस-साइबेरियन रेलवे लाइन की छह रातों की यात्रा करके बीजिंग पहुंचेंगे.

यहां से बोटेन-वियनतियाने रेल ट्रैक के जर‍िये सभी पैसेंजर बैंकॉक पहुंचेंगे. फ‍िर वहां से मलेशिया से होते हुए अंत में सिंगापुर पहुंच जाएंगे.

मगर रुक‍िए, आप अभी इसमें बुक‍िंग नहीं करा सकते, क्‍योंक‍ि यूक्रेन में चल रहे युद्ध के कारण यात्रा फिलहाल स्थगित की गई है. क्‍योंक‍ि यह ट्रेन यूरोप के ज‍िन रास्‍तों से गुजरती है, वहां अभी जंग चल रही है. 

ट्रेन रूस के मास्‍को भी जाती है, लेकिन अभी वहां जंग की वजह से हालात ठीक नहीं हैं. रेल प्रशासन के अध‍िकार‍ियों का कहना है क‍ि युद्ध समाप्‍त होते ही इस रास्‍ते को खोल द‍िया जाएगा.