क्या आपको मालूम है बच्चे के जन्म के बाद क्यों मनाई जाती है छठी? यहां जानें

महिला के गर्भ धारण करने से ही 16 संस्कारों की शुरुआत हो जाती है. धार्मिक ग्रंथों में गर्भ धारण करने से लेकर मृत्यु तक सभी संस्कार करने बेहद ही जरूरी बताए गए हैं.

जब शिशु गर्भ में होता है, तो उसे पहला संस्कार बताया गया है. जब शिशु जन्म लेता है, तो जन्म संस्कार किया जाता है. ऐसे ही शिशु के जन्म के छठे दिन छठी पूजन करने का भी विशेष महत्व बताया गया है.

बच्चे की छठी का महत्व हिंदू धार्मिक शास्त्रों से जुड़ा हुआ है. विद्वानों के अनुसार, छठी पूजा की परंपरा का महत्व भगवान राम के जन्म से जुड़ा हुआ बताया गया है.

छठी पूजन के महत्व के बारे में जानकारी देते हुए हरिद्वार के प्रसिद्ध ज्योतिषी ने बताया कि बच्चों को अशुद्ध से शुद्ध करने के लिए छठी पूजन करना बेहद ही जरूरी होता है.

जब बच्चा पैदा होता है, तो वह अशुद्ध होता है. बच्चे के जन्म के पांच दिन बाद छठे दिन बच्चे को नहलाकर काजल लगाया जाता है.

बच्चों की छठी को एक लघु समारोह की तरह मनाया जाता है, जिसमें परिवार के लोग एक साथ मिलकर बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए मंगल गीत गाते हुए भगवान से प्रार्थना करते हैं.

हिंदू धर्म में कुल 6 शास्त्र हैं. बच्चे को सभी शास्त्रों का ज्ञान हो, इसीलिए बच्चों के जन्म के पांच दिन बाद छठी पूजन होता है.

पंडित बताते हैं कि छठी माता से बच्चे की दीर्घायु और उज्जवल भविष्य के लिए इस दिन पूजन करने की भी मान्यता है.

छठी पूजन की परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है. त्रेता युग में जब भगवान राम का जन्म हुआ था, तो उनके जन्म के छठे दिन समारोह मनाया गया था. वही परंपरा आज कलयुग में भी मनाई जाती है.