दुनिया के कई देशों में ऐसा होता है कि साल में दो बार घड़ी में टाइम की सेटिंग बदल दी जाती है. यानी समय करीब एक घंटे आगे और पीछे हो जाता है.
ऐसा अमेरिका, कनाडा, क्यूबा समेत यूरोप के कई देशों में होता है. इन देशों में पांच नवंबर को घड़ियां एक घंटा पीछे हो जाती है. ऐसा डेलाइट सेविंग टाइम के लिए किया जाता है.
डेलाइट सेविंग टाइम एक ऐसी चीज है, जिसमें गर्मियों के महीनों में घड़ी की सुइयां एक घंटा आगे बढ़ा दी जाती है, ताकि शाम के समय ज्यादा लंबे समय तक दिन का उजाला रहें.
पुराने समय में माना जाता था कि इस प्रैक्टिस से दिन की रोशनी के ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल के चलते किसानों को अतिरिक्त कार्य समय मिल जाता था.
समर के मौसम में घड़ी को एक घंटा पीछे करने से दिन की रोशनी के ज़्यादा इस्तेमाल के लिए मानसिक तौर पर एक घंटा ज़्यादा मिलने का कॉंसेप्ट है.
डेलाइट सेविंग टाइम को सबसे पहली बार बेंजामिन फ्रेंकलिन ने साल 1784 में इंट्रोड्यूस किया था. हालांकि, इसका मौजूदा कॉन्सेप्ट न्यूजीलैंड के कीटविज्ञानी जॉर्ज हडसन ने दिया था.
दुनिया के करीब 70 देश इस सिस्टम को अपनाते हैं. भारत और अधिकांश मुस्लिम देशों में यह प्रैक्टिस नहीं अपनाई जाती. यूरोपीय यूनियन में शामिल देशों में यह सिस्टम है.