आपको मालूम है आखिर क्यों रामचरितमानस को लाल कपड़े में ही लपेटकर रखते हैं? जानें
हिंदू धर्म में लाल रंग को शुभ और सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) का प्रतीक माना जाता है. धार्मिक ग्रंथों को लाल कपड़े में लपेटने की परंपरा बहुत पुरानी है
ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि ग्रंथों को बुरी शक्तियों से बचाया जा सके और उनकी पवित्रता बनी रहे. रामचरितमानस जैसे ग्रंथ को लाल कपड़े में लपेटना उसकी दिव्यता और सम्मान को दिखाता है
लाल रंग को मंगल ग्रह से जोड़ा जाता है, जो शुभ और सकारात्मकता का प्रतीक है. यही कारण है कि लाल रंग का इस्तेमाल पूजा-पाठ और शुभ कार्यों में भी किया जाता है
धार्मिक ग्रंथों को लाल कपड़े में रखने की परंपरा का ऐतिहासिक महत्व भी है. कहा जाता है कि जब महर्षि वाल्मिकी ने रामायण लिखी थी, तो उन्होंने इसे लाल कपड़े में ही रखा था
इसी तरह, तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस को लाल कपड़े में लपेटकर सुरक्षित रखा. लाल कपड़े को ग्रंथों पर रखने से उनकी दिव्य ऊर्जा को बचाए रखा जा सकता है
पुराने समय में इन ग्रंथों के श्लोक और चौपाइयां बहुत ध्यान और शुद्धता से लिखी जाती थीं. इन्हें लाल कपड़े में रखने का मकसद उनकी पवित्रता को बनाए रखना था
लाल रंग को धन और शुभता का प्रतीक भी माना जाता है. जब रामचरितमानस को लाल कपड़े में लपेटा जाता है, तो यह श्रद्धालुओं के दिलों में सकारात्मक ऊर्जा भर देता है
यह परंपरा सिर्फ एक धार्मिक मान्यता नहीं है, बल्कि इसका आध्यात्मिक महत्व भी है
लाल कपड़े में रामचरितमानस रखने से उसकी पवित्रता और शक्ति बनी रहती है. इससे इसे पढ़ने वालों में श्रद्धा और भक्ति का भाव जागता है.