अंतरिक्ष विज्ञान वह शाखा है, जिसके अंतर्गत पृथ्वी से परे करोड़ों ग्रहों, उपग्रहों, तारों, धूमकेतुओं, आकाशगंगाओं एवं अन्य अंतरिक्षीय पिंडों का अध्ययन किया जाता है.

हाल ही में 12 सितंबर 2024 को मानव इतिहास में ये पहली बार हुआ जब दो आम इंसानों ने नए एडवांस प्रेशराइज्ड सूट पहनकर 737km ऊंचाई पर स्पेस वॉक किया.

आपको बता दें अंतरिक्ष में जाने के लिए किसी भी अंतरिक्ष यात्री को काफी लंबे औए कठोर ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है.यह ट्रेनिंग महत्वपूर्ण होती है

ऐसे में आइए जानते हैं किसी अंतरिक्षयात्री को अंतरिक्ष में जाने के लिए किस तरह की लेनी होती है ट्रेनिंग और कैसे किया जाता है तैयार?

किसी भी अंतरिक्षयात्री को अंतरिक्ष में जाने से पहले शारीरिक ट्रेनिंग दी जाती है जिसमें दौड़, तैराकी, वेटलिफ्टिंग और एरोबिक एक्सरसाइज़ शामिल है.

इसके अलावा अंतरिक्षयात्रियों को विज्ञान, गणित, इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस का ज्ञान होना भी बहुत आवश्यक है.

कम गुरुत्वाकर्षण (Zero-Gravity) का अनुभव करने के लिए अंतरिक्षयात्रियों को 'वोमिट कॉमेट' नामक विशेष विमानों में प्रशिक्षण भी दिया जाता है.

वर्चुअल रियलिटी और सिमुलेशन ट्रेनिंग के माध्यम से अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में कम गुरुत्वाकर्षण और अन्य स्थितियों में काम करने का अनुभव दिया जाता है.

इन सब के साथ ही अंतरिक्ष में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए अंतरिक्ष यात्री को फर्स्ट-एड और अन्य महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण दिया जाता है.

अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) में काम करने के लिए अंग्रेजी के साथ-साथ रूसी भाषा का ज्ञान भी आवश्यक है, क्योंकि वहां रूसी अंतरिक्ष यान और उपकरणों का उपयोग होता है.

अंतरिक्ष यात्री को चयन के बाद 2-3 साल की बेसिक ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है. इसके बाद उन्हें मिशन-विशेष ट्रेनिंग दी जाती है, जो अतिरिक्त 1-2 साल तक हो सकती है.