जोधपुर को अकाल से बचाने के लिए इस रानी ने किया था ये काम, अब बना पर्यटकों का खास

जोधपुर शहर की एक महारानी ने शहर में पानी की समस्या को लेकर एक ऐसा अनोखा काम किया जो आज जल संरक्षण के साथ पर्यटन को भी अपनी और आकर्षित कर रहा है. 

दरअसल, 1740 में जोधपुर शहर में भयंकर अकाल का दौर चल रहा था. उस दौरान तत्कालीन महाराजा अभय सिंह की महारानी तंवर जी ने जल संरक्षण को लेकर भीतरी शहर के इलाके में एक ऐतिहासिक झालरा बनाया था. 

इस झालरा की बनावट ऐसी थी कि जमीन से ऊपर स्टेप वेल के आकार में बना यह झालरा शहर में होने वाली मानसून की बरसात में पानी इकट्ठा करता था. 

लिहाजा इसके बनने के बाद भीतरी शहर की महिलाएं इसी झालरे से पीने का पानी अपने-अपने घर लेकर जाती थी.

सदियों पहले जब महाराजाओं का दौर चलता था. माना जाता है कि उस समय महारानी ही जनता के लिए पीने के पानी को लेकर कार्य करती थी. महारानी ने जल संरक्षण के साथ इस झालरे को बहुत सुंदर तरीके से निर्माण करवाया था. 

उस दौरान झालरे की गहराई इतनी रखी गई की महिला आराम से सीढ़ियों से उतर कर पानी भरकर ऊपर आ सके. आज ऐतिहासिक तूवर जी के झालरे को जल संरक्षण के तौर पर मिसाल के रूप में देखा जाता है. 

जोधपुर में कहा जाता है कि हर गली और चौक में तत्कालीन राजाओं और रानियों ने कुओं व तालाबों के साथ झालरे का निर्माण कराया था. 

जोधपुर के भीतरी शहर में 70 से अधिक कुओं व तालाबों के साथ झालरे मौजूद है. इन सब कुओं व तालाबों में आने वाला पानी तूरजी का झालरा में आकर जमा होता था.

हालांकि आज इस झालरों से कोई पानी पीने के काम नहीं लेता. लेकिन उस दौर में यह झालरा शहर के लोगों की लाइफ लाइन मानी जाती थी.

तूरजी का झालरा वैसे तो जल संरक्षण और स्टोरेज को लेकर बनाया गया था लेकिन आज यह दुनिया भर में स्टेप वेल के नाम से मशहूर है. हर साल लाखों पर्यटक इस सस्टैप वेल में आकर अपना फोटोशूट करवाते हैं.