इन दिनों (Rajasthan) अजमेर के विश्वप्रसिद्ध ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह काफी चर्चा में है. हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां तहखाने में शिव मंदिर बना है.
1911 में लिखी गई एक किताब में किए गए कुछ दावों के आधार पर याचिका दायर की गई है. लोगों का कहना है कि अजमेर शरीफ दरगाह को भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित किया जाए.
सोशल मीडिया पर आए दिन एक तस्वीर साझा करते हुए दावा किया जाता है कि दरगाह में स्वास्तिक के निशान भी मिले हैं. आइए जानते हैं कि इस दावे का सच क्या है.
एक बार फिर सोशल मीडिया पर स्वास्तिक निशान वाली एक खिड़की की तस्वीरें शेयर की जा रही हैं. इसके साथ दावा किया जा रहा है कि यह अजमेर शरीफ दरगाह की हैं.
जब वायरल दावों की पड़ताल की तो सच कुछ और ही निकला. जब तस्वीर को 'गूगल इमेज सर्च' में डाला तो हम 'ढाई दिन के झोपड़े' की खबरों तक पहुंचे, जिनमें यही तस्वीर दिखी.