आपको मालूम है प्रथम विश्व युद्ध से जुड़ा हुआ है महिलाओं के पायजामा पहनने का संबंध?

आपने अक्सर महिलाओं को रात के समय नाइट ड्रेस पहनते देखा होगा. आज के समय में पुरुष हो या महिलाएं सभी नाइट ड्रेस के रुप में पयजामे पहनना पसंद करते हैं. 

मगर एक समय था जब औरतों के लिए पयजामे पहनना गलत माना जाता था ना ही घर के बाहर और ना ही रात में सोतो समय कमरे के अंदर तो फिर महिलाओं ने पयजामे पहनना कब से शुरु किया? 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 1900 के दौर में महिलाओं के कपड़े काफी विचित्र होते थे. उन्हें एक साथ कई लेयर के कपड़े पहनने पड़ते थे और उनसे ये उम्मीद की जाती थी कि वो हर वक्त किसी महारानी की तरह बनठन के रहती थी. 

रात में सोतो वक्त भी वो फैंसी नाइट गाउन बना करती थीं जो उनके शरीर को ऊपर से नीचे तक ढके रहते थे. उस दौर में औरते नाइट ड्रेस में घर से बाहर नहीं जाया करती थीं क्योंकि ये उनकी शान के खिलाफ माना जाता था. 

अगर उन्हें बाहर जाना हो तो पूरे कपड़े बदलकर ही जाना पड़ता था. मगर उस दौर में एक बड़ी समस्या आ खड़ी हुई जिससे उनके ड्रेसिंग का तरीका पूरी तरह से बदल गया. 

उसी दौर में पहला विश्व युद्ध हुआ रिहायशी इलाकों में हमले होने लगे. उसी दौरान ब्रिटेन में महिलाओं के लिए पयजामों का चलन बढ़ा और कंपनियों ने जोर-शोर से महिलाओं के पयजामों का प्रचार किया. 

इसका कारण ये था कि हमले रात में भी हो जाते थे और ऐसे में औरतों को घर से बाहर गाउन में ही भागना पड़ता था. 

अब गाउन से शरीर पूरा नहीं ढक पाता था इस वजह से औरतों ने पयजामे पहनना शुरु किया जिससे अगर उन्हें रात में ही घर से बाहर भागना पड़े तो उनका शरीर पूरा ढका रहे. 

यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लास्गो की पीएचडी रीसर्चर लूसी व्हिटमोर ने बताया कि पहले विश्वयुद्ध के दौरान आम लोगों की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई और उनकी लाइफस्टाइल भी चेंज होने लगी.