आपने कभी सोचा है क्रिसमस पर आखिर क्यों सजाया जाता है 'ट्री'? जानें इसका इतिहास
क्रिसमस डे की तैयारी जोरो-शोरों से चल रही है. इस दिन तैयार किया जाने वाला क्रिसमस ट्री इस पर्व का मुख्य आकर्षण होता है. जिसे कुछ दिन पहले से ही सजाना शुरु कर दिया जाता है.
लोग इस ट्री को रंगबिरंगी लाइटों, कुछ खास चीजों और गिफ्ट से सजाते हैं.
क्रिसमस ट्री को लेकर ये मान्यता है कि इसे इसलिए सजाया जाता है जिससे साल भर आपका जीवन क्रिसमस ट्री की तरह जगमगाता रहें. क्रिसमस ट्री को हिंदी में सनोबर का पेड़ या फिर फर का पेड़ कहा जाता है.
क्रिसमस के पेड़ शंकुधारी होते हैं यानी कि ये नीचे से चौड़े और ऊपर की ओर पतले बढ़ते चले जाते हैं. अब सवाल यह है कि आखिर क्रिसमस डे पर इस पेड़ को सजाने की परंपरा कैसे शुरु हुई.
बता दें कि इस चीज को लेकर एकदम सही-सही जानकारी तो नहीं मिलती है लेकिन ऐसा कहा जाता है कि सदियों पहले से ही इस पेड़ और इसकी डाल को क्रिसमस ट्री के रूप में सजाने की परंपरा चली आ रही है.
मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय में रोमनवासी फर के पेड़ को मंदिर सजाने के लिए इस्तेमाल करते थे. जबिक जीसस को मानने वाले लोग इस वृक्ष को यीशू के साथ अनंत जीवन के प्रतीक के रूप में सजाया करते थे.
क्रिसमस पर 'ट्री' सजाने की परंपरा की शुरुआत जर्मनी में हुई थी और यह प्रथा करीब 16वीं सदी में शुरू हुई थी.
हालांकि, 19वीं सदी में पेड़ को सजाने और उसपर मोमबत्तियां लगाने की परंपरा इंग्लैंड व अमेरिका में फैली जो बाद में पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुई. देवदार के पेड़ को जीवन और पुनर्जन्म का प्रतीक माना जाता है.