कभी सोचा है फ्लाइट में पायलट को लेफ्ट या राइट का कैसे पता चलता है? यहां जानें

फ्लाइट में तो अधिकतर लोग बैठे ही होंगे, लेकिन सबके मन में एक सवाल जरूर आता है कि एरोप्लेन में एक पायलट को सही रास्ता कैसे पता चलता है. 

सभी के मन में यह सवाल तो जरूर आता होगा कि पायलट सड़क कैसे ढूंढंता होगा? कैसे पता चलता है कि कितनी ऊंचाई पर जाना है और कहां पर प्लेन लैंड करना है? 

ऐसे में आज हम आपको उस तकनीकी के बारे में बताएंगे जिसके माध्यम से पायलट रोजाना हजारों लोगों को अपने लक्ष्य पहुंचाते हैं. 

अगर आप फ्लाइट में सफर करते हैं तो आपने देखा होगा कि पायलट केबिन में 2 पायलट होते हैं. एक सीनियर और एक को-पायलट होता है. विमान की सारी जिम्मेदारी पायलट के हाथों में होती है. 

बता दें कि पायलट को रेडियो और रेडार के उपयोग से रास्ते के बारे में जानकारी मिलती है. 

इसके अलावा एयर ट्रैफिक कंट्रोल होता है जो पायलट को जानकारी देता है कि किस दिशा में उन्हें जाना है और कहां नहीं जाना है. 

बता दें कि पायलट को रास्ता दिखाने के लिए HSI यानी होरिजेंटल सिचुएशन इंडिकेटर का इस्तेमाल किया जाता है. इसे देखकर पायलट को बड़े ही आसानी से पता चल जाता है कि किस तरफ जाना है. 

इसके अलावा ये तकनीक पायलट के पास लगे स्क्रीन में एक रेखा की तरह रास्ता दिखाने का भी काम करते हैं. जिससे आसानी से पायलट समझ जाते हैं कि उन्हें किस दिशा में जाना है. 

अब आप सोच रहे होंगे कि फ्लाइट कितनी ऊंचाई पर उड़ता है. बता दें कि फ्लाइट आसमान में 35 हजार फीट यानी 10,668 किलोमीटर की ऊंचाई पर जाता है.