भारत नहीं इस देश में हुआ था पतंग का आविष्कार, 2 हजार साल पुराना है इतिहास

आपने आसमान में रंगबिरंगी पतंगे खूब उड़ती देखी होंगी. मकर संक्रांति के दिन तो पतंगबाजी को धार्मिक सरोकारों से जोड़ा जाता है.

ऐसे में अगर आपसे कहा जाए कि पतंगबाजी बेशक भारत में अब सबसे ज्यादा होती है. लेकिन इसका आविष्कार भारत में नहीं बल्कि इसके एक पड़ोसी देश में हुआ था. 

इसका अपना वैज्ञानिक महत्व भी है और धार्मिक भी. साथ में अगर ठंड के मौसम में खिली हुई धूप में पतंग उड़ाई जाए तो हेल्थ पर भी इसके पॉजिटीव असर होता है. 

पतंग का आविष्कार चीन में हुआ था. इसका इतिहास लगभग 2 हजार साल पुराना है. माना जाता है कि पतंग का पहला निर्माण ईसा पूर्व तीसरी सदी में हुआ. 

जब एक चीनी दार्शनिक, हुआंग थेग ने इसे बनाया था. पतंग का जन्म शानडोंग क्षेत्र में हुआ जिसे पतंग का घर भी कहा जाता है. 

सबसे पहले ज्ञात पतंगें चपटी और आयतकार होती थीं तथा इन्हें रेशम, बांस और अन्य सामग्रियों से बनाया जाता था. 

हालांकि ये भी कहा जाता है कि पतंगों का इस्तेमाल मलेशिया, इंडोनेशिया और दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में पत्तियों और नरकट जैसी प्राकृतिक सामग्रियों से बने मछली पकड़ने के उपकरण के रूप में किया जाता था. 

पतंग उड़ाने का सबसे पहला लिखित विवरण चीन में 200 ईसा पूर्व में मिलता है जो पतंग की उत्पत्ति के ऊपर पतंग उड़ाई जिस पर वह हमला कर रहा था. 

ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसकी सेना को सुरक्षा को पार करने के लिए कितनी दूरी तक सुरंग बनानी होगी. 

13वीं शताब्दी तक पतंग उड़ाने की परंपरा चीन से कोरिया और एशिया से होते हुए भारत और मध्य पूर्व तक व्यापारियों के माध्यम से फैल चुका था. 

भारतीय उपमहाद्विप में पतंग लाने का श्रेय चीनी यात्रियों फा हेन और ह्यून सांग को दिया जाता है. ये यात्री पतंगों को टिशू पेपर और बांस के ढांचे से बनाकर भारत लाए थे.