आप जानते हैं आखिर किसी को कैसे दी जाती है सुरक्षा, क्या लगता है कोई चार्ज? जानें
देश में जब कोई व्यक्ति सुरक्षा की मांग करता है, तो सरकार ये निर्णय सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर लेती है कि किसे सुरक्षा दी जानी चाहिए.
सुरक्षा की आवश्यकता का असेसमेंट सुरक्षा एजेंसियां करती हैं, जो ये तय करती हैं कि कौन व्यक्ति खतरे में है और किसे सुरक्षा मिलनी चाहिए.
सरकार मैनली दो तरीके से सुरक्षा प्रदान करती है. पहला, उन लोगों को जो संवैधानिक पदों पर कार्यरत होते हैं, जैसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यमंत्री, और जज आदि.
दूसरा उन वीवीआईपी लोगों को, जो सामाजिक कार्यों या अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य कर चुके होते हैं और जिनकी जान को खतरा हो.
कुछ स्थितियों में सरकार सिक्योरिटी देने के लिए चार्ज भी करती है, लेकिन ये चार्ज केवल उन लोगों से लिया जाता है जो इसे केरी कर सकते हैं.
अगर किसी व्यक्ति की मंथली इनकम 50 हजार रुपये से कम है, तो सरकार उनसे कोई शुल्क नहीं लेती है.
सरकार सिक्योरिटी देने से पहले ये सुनिश्चित करती है कि व्यक्ति को सचमुच पर्सनल सुरक्षा की जरुरत है या नहीं.
इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति फीस देने में सक्षम नहीं है, तो सरकार उससे कोई भी शुल्क नहीं लेती.
हालांकि, प्राइवेट सिक्योरिटी जवानों को पैसे देकर रखा जा सकता है, लेकिन सरकारी सुरक्षा के लिए केवल पैसे से काम नहीं चलता. ये फैसला पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में होता है.