आपने कभी सोचा है अगर हवा में है ऑक्सीजन तो इसे सिलेंडर में क्यों नहीं भर सकते?

दरअसल, हवा में 21% ऑक्सीजन होता है, लेकिन मेडिकल इमरजेंसी में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है.

मेडिकल ऑक्सीजन को खास वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया जाता है, जिसमें 98% तक शुद्ध ऑक्सीजन होती है. इसे बड़े प्लांट्स में लिक्विड ऑक्सीजन के रूप में तैयार किया जाता है.

ऑक्सीजन -183 डिग्री सेल्सियस पर गैस से तरल में बदल जाती है, जबकि पानी 100 डिग्री पर उबलता है.

हवा में 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन और बाकी गैसें जैसे आर्गन, हीलियम आदि होती हैं. इन गैसों के बॉयलिंग प्वाइंट अलग-अलग होते हैं.

क्रायोजेनिक तकनीक से हवा को ठंडा कर, गैसों को उनके अलग-अलग बॉयलिंग प्वाइंट पर अलग किया जाता है.

उदाहरण के तौर पर -108 डिग्री पर जीनोन गैस, -153.2 डिग्री पर क्रिप्टोन और -183 डिग्री पर ऑक्सीजन लिक्विड बनते हैं.

इस प्रक्रिया से 99.5% शुद्ध लिक्विड ऑक्सीजन तैयार होती है, जिसे मेडिकल उपयोग के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

ये तकनीक ऑक्सीजन को एक सुरक्षित और प्रभावी रूप में उपलब्ध कराती है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.