
मुंबई: भारत का हाउसिंग फाइनेंस बाजार अगले पांच वर्षों में दोगुने से अधिक बढ़कर ₹81 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है. यह जानकारी केयरएज रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में दी गई है. रेटिंग एजेंसी के अनुसार, यह वृद्धि मजबूत संरचनात्मक कारकों और अनुकूल सरकारी प्रोत्साहनों के कारण होगी, जिससे हाउसिंग फाइनेंस उधारदाताओं के लिए एक आकर्षक परिसंपत्ति वर्ग बना रहेगा. वर्तमान में, भारत का हाउसिंग फाइनेंस बाजार ₹33 लाख करोड़ का है.
CareEdge Ratings के अनुसार, देश का आवासीय संपत्ति बाजार मजबूत बना हुआ है, जो हाउसिंग फाइनेंस उद्योग के विकास का प्रमुख कारक है. 2019 से 2024 तक इसमें 74% की वृद्धि हुई है, और इस दौरान कुल 4.6 लाख आवासीय इकाइयां बेची गई हैं.
भारत का हाउसिंग फाइनेंस बाजार तेजी से बढ़ेगा
वित्तीय वर्ष 2021 से 2024 के बीच, बैंकों ने हाउसिंग लोन क्षेत्र में 17% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की, जबकि हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFCs) की वृद्धि दर 12% रही.
इस अवधि में, बैंकों ने हाउसिंग लोन बाजार में 74.5% की हिस्सेदारी बनाए रखी (31 मार्च 2024 तक), जो कि उनकी कम लागत वाली फंडिंग, विस्तृत पहुंच, पोर्टफोलियो अधिग्रहण और सह-ऋण व्यवस्था के कारण संभव हुआ. दूसरी ओर, एचएफसी की बाजार हिस्सेदारी 19% पर स्थिर बनी हुई है और केयरएज रेटिंग्स के अनुसार, यह प्रवृत्ति आगे भी जारी रह सकती है.
बैंकों और एचएफसी की बाजार हिस्सेदारी
वित्तीय वर्ष 2024 में, एचएफसी के ऋण पोर्टफोलियो में 13.2% की वृद्धि दर्ज की गई और यह ₹9.6 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो कि केयरएज रेटिंग्स के अनुमानित 12-14% वृद्धि दर के अनुरूप है. वित्तीय वर्ष 2025 और 2026 में, रेटिंग एजेंसी ने क्रमशः 12.7% और 13.5% की सालाना वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो मजबूत इक्विटी प्रवाह और पूंजी भंडार से प्रेरित होगी. खुदरा क्षेत्र (रिटेल सेगमेंट) एचएफसी के लिए प्रमुख विकास कारक बना रहेगा, जबकि थोक ऋण (व्होलसेल सेगमेंट) में सावधानीपूर्वक वृद्धि देखी जा रही है.
केयरएज रेटिंग्स की एसोसिएट डायरेक्टर, गीता चैनानी के अनुसार, “एचएफसी मुख्य रूप से ₹30 लाख से कम मूल्य वाले ऋण प्रदान करते हैं, जो मार्च 2024 तक कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) का 53% था. ₹30 लाख से ₹50 लाख के बीच के ऋणों का अनुपात धीरे-धीरे बढ़ रहा है, जबकि ₹30 लाख से कम के ऋणों का प्रतिशत घट रहा है.
यह आवासीय संपत्ति बाजार में देखी जा रही प्रीमियमाइजेशन प्रवृत्ति के अनुरूप है. हालांकि, एचएफसी द्वारा दिए जाने वाले ऋण का आकार आवासीय संपत्तियों के लॉन्च की तुलना में समान गति से नहीं बढ़ रहा है. इससे संकेत मिलता है कि उच्च मूल्य के ऋणों की मांग मुख्य रूप से बैंकों द्वारा पूरी की जा रही है और आंशिक रूप से खरीदार स्वयं वित्तपोषित कर रहे हैं.”
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-भारत एक्सप्रेस
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