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General Election 2024

Schedule

Date of Counting: 04 June 2024

चुनावी पाठशाला

वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल कब खत्म हो रहा है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को खत्म हो रहा है. इससे पहले ही नए सदन का गठन करना होता है. इसी के लिए 2024 में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं.

लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे क्या थे?

2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा (BJP) ने 2014 के अपने प्रदर्शन को दोहराते हुए कुल 303 सीटें जीतकर बहुमत के साथ अपनी ताकत दिखाई थी. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस (Congress) सिर्फ 52 सीटों पर सिमट कर रह गई थी. इतना ही नहीं कांग्रेस विपक्ष के नेता पद का दावा करने के लिए आवश्यक 10% सीटें प्राप्त करने में असफल हो गई थी. कांग्रेस के अलावा DMK ने 23, TMC ने 22 और YSRCP ने 22 सीटें जीती थीं.

लोकसभा चुनाव 2019 में NDA और UPA को कितनी सीटें मिली थीं?

साल 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को कुल 351 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) को 90 सीटों से संतोष करना पड़ा था.

देश में पहली बार लोकसभा चुनाव कब हुआ था?

भारत में 25 अक्टूबर 1951 और 21 फरवरी 1952 के बीच आम चुनाव हुए, जो 1947 में देश को आजादी मिलने के बाद पहला चुनाव था. मतदाताओं ने भारत की संसद के निचले सदन यानी पहली लोकसभा के लिए 489 सदस्यों का चयन किया था. इसी के साथ अधिकांश राज्य विधानसभाओं के चुनाव भी हुए थे.

पहले लोकसभा के लिए मतदान कराने में लगभग 5 महीने का वक्त क्यों लगा था?

पहली लोकसभा के लिए अधिकांश मतदान 1952 की शुरुआत में हुआ था, लेकिन हिमाचल प्रदेश में 1951 में मतदान हुआ, क्योंकि फरवरी और मार्च में मौसम आमतौर पर खराब रहता था. इस दौरान राज्य में भारी बर्फबारी भी होती थी. चुनाव के लिए सबसे पहले वोट हिमाचल प्रदेश में चीनी गांव में डाले गए थे, जिसे अब कल्पा के नाम से जाना जाता है. जम्मू कश्मीर को छोड़कर शेष राज्यों में फरवरी-मार्च 1952 में मतदान हुआ. जम्मू कश्मीर में 1967 तक लोकसभा सीटों के लिए कोई मतदान नहीं हुआ था.

पहले लोकसभा चुनाव के लिए सबसे पहले वोट किसने डाला था?

देश में साल 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव के लिए सबसे पहला वोट श्याम सरन नेगी ने डाला था. वह हिमाचल प्रदेश के कल्पा (पूर्व नाम चीनी) में एक स्कूल शिक्षक थे. नेगी ने पहला वोट 25 अक्टूबर 1951 को डाला था. उन्होंने 1951 से अपनी मृत्यु (5 नवंबर 2022) तक हर आम चुनाव में मतदान किया था. माना जाता है कि वे भारत के सबसे बुजुर्ग मतदाता भी थे.

अब तक कितने लोकसभा चुनाव हुए हैं?

अब तक लोकसभा के लिए 17 बार मतदान हुए हैं. अप्रैल-मई 2024 में 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव प्रस्तावित है. पहली लोकसभा के लिए चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक हुए थे. 17वीं लोकसभा के लिए 11 अप्रैल से 19 मई 2019 तक सात चरणों में मतदान हुए थे.

लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया क्या होती है?

लोकसभा चुनाव की अधिसूचना राष्ट्रपति द्वारा जारी की जाती है और इसके बाद चुनाव आयोग द्वारा मतदान की तारीखों की घोषणा की जाती है. निर्वाचन प्रक्रिया तीन भागों में होती है. चुनाव की घोषणा के बाद सबसे पहले प्रत्याशियों को अपना नामांकन करना होता है, उसके बाद मतदान होते हैं और फिर मतगणना होती है. अधिसूचना जारी होने के बाद मौजूदा सरकार भंग हो जाती है. इस दौरान निवर्तमान सरकार कोई भी योजना या नया काम शुरू नहीं कर सकती है.

चुनाव आयोग का गठन कब किया गया था?

पहले लोकसभा चुनाव से पूर्व वर्ष 1949 में चुनाव आयोग को गठन किया किया गया था और मार्च 1950 में सुकुमार सेन पहले मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किए गए थे. एक महीने बाद संसद ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम पारित किया था, जिसमें बताया गया है कि संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनाव कैसे आयोजित किए जाएंगे.

चुनाव आयोग क्या है?

भारत का चुनाव आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण है, जो भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं के प्रशासन के लिए जिम्मेदार होता है. यह निकाय भारत में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं और देश में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पदों के लिए चुनावों का संचालन करता है.

चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा दो अन्य पद कब बनाए गए?

शुरुआत में चुनाव आयोग में केवल एक मुख्य चुनाव आयुक्त होता है. हालांकि वर्तमान में मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा दो चुनाव आयुक्त के पदों का निर्माण किया गया है. पहली बार 16 अक्टूबर 1989 को दो अतिरिक्त चुनाव आयुक्त नियुक्त किए गए थे, लेकिन उनका कार्यकाल 1 जनवरी 1990 तक ही था. बाद में 1 अक्टूबर 1993 को दो अतिरिक्त चुनाव आयुक्त नियुक्त किए गए. बहु-सदस्यीय आयोग की अवधारणा तभी से चलन में है, जिसमें बहुमत से निर्णय लेने की शक्ति होती है.

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एवं कार्यकाल क्या होता है?

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है. उनका कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है. वे भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समान वेतन और भत्ते प्राप्त करते हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान तरीके और समान आधारों पर पद से हटाया जा सकता है.

SVEEP क्या होता है?

व्यवस्थित मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी (SVEEP) एक बहु-हस्तक्षेप कार्यक्रम है, जो जागरूकता और भागीदारी बढ़ाने के लिए नागरिकों को चुनावी प्रक्रिया के बारे में शिक्षित करता है. SVEEP का उद्देश्य मतदाता पंजीकरण और मतदान के माध्यम से चुनावी भागीदारी को बढ़ाना, नैतिक और सूचित मतदान कराना तथा निरंतर चुनावी और लोकतंत्र की शिक्षा के संदर्भ में गुणात्मक भागीदारी को बढ़ाना है.

आदर्श आचार संहिता क्या होती है?

आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए मानदंडों/नियमों का एक सेट होती है, जिसे भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission) द्वारा लागू किया जाता है. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के अपने संवैधानिक अधिकार के तहत चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता विकसित की है, जिसका उद्देश्य सभी दलों और उम्मीदवारों के लिए ‘समान अवसर’ तैयार करना होता है.

आचार संहिता कब से कब तक लागू रहती है?

किसी भी चुनाव की तारीख की घोषणा होने के बाद से चुनाव के नतीजों की घोषणा होने तक पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू रहती है.

आचार संहिता लागू होने से क्या बदलाव होते हैं?

चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, मंत्रियों और अन्य अधिकारियों को चुनाव की घोषणा होने के बाद किसी भी वित्तीय अनुदान की घोषणा करने या उसके वादे करने से प्रतिबंधित किया जाता है. लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा होने के बाद उन्हें शिलान्यास करने या किसी भी प्रकार की परियोजना या योजना को शुरू करने से प्रतिबंधित कर दिया जाता है. इस अवधि के दौरान सड़कों के निर्माण, पेयजल सुविधाओं के प्रावधान आदि से संबंधित वादों की अनुमति नहीं होती है.

अगर कोई पार्टी या उम्मीदवार आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो?

आदर्श आचार संहिता के पास किसी को दंड देने का अधिकार नहीं है. फिर भी इसके भीतर के विशिष्ट प्रावधानों को अन्य कानूनों में संबंधित खंडों के माध्यम से लागू किया जा सकता है, जिनमें 1860 का भारतीय दंड संहिता, 1973 का आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1951 का लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम शामिल है. इसके अलावा चुनाव आयोग के पास 1968 के चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश के पैराग्राफ 16ए के तहत किसी पार्टी की मान्यता को निलंबित करने या वापस लेने का अधिकार होता है.

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