कुंडली में बने ये योग तो समझिए होगा अचानक धन लाभ

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, कुंडली के दूसरे भाव को धनेश कहा जाता है. अगर कुंडली का धनेश मजबूत स्थित में है तो लॉटरी, शेयर बाजार और सट्टे इत्यादि से अचानक अपार धन की प्राप्ति का योग बनता है. 

कुंडली में अगर बृहस्पति ग्रह बलवान है तो व्यक्ति को गड़ा हुआ खजाना, छिपा हुआ धन प्राप्त हो सकता है. 

धनु लग्न की कुंडली के आठवें भाव (घर) में उच्च राशि का बृहस्पति बैठने पर व्यक्ति को 45 साल के बाद अपार धन के रूप में संपत्ति इत्यादि की प्राप्ति होती है. 

अगर बलवान बृ्हस्पति लग्न (पहला भाव) में बैठा हो और दूसरा, चौथा और छठा भाव भी धन स्थान में एक साथ हो तो अपार धन की प्राप्ति का योग बनता है. 

अगर जन्म कुंडली के सभी ग्रह पहले, दूसरे, 5वें, 7वें, 8वें और 11वें स्थान में हों और दो से अधिक ग्रह ना हों तो ऐसे में शेयर बाजार से अचानक धन लाभ होता है.

जन्मकुंडली में अगर सूर्य-चंद्र की युति और लग्नेश सूर्य ग्रह का मित्र हो या अच्छी स्थिति में हो तो जबरदस्त धन लाभ का योग बनता है. ज्योतिष के मुताबिक, यह योग सिर्फ अमवस्या के दिन बनता है.

अगर जन्म कुंडली के दूसरे और 11वें भाव के स्वामी लॉटरी, शेयर बाजार में लाभ देने के साथ ही भाग्योदय का भी योग बनाते हैं. 

ज्योतिष में बुध को व्यापार का कारक ग्रह माना गया है. ऐसे में यह अगर कुंडली के पांचवें भाव में मित्र ग्रहों के साथ अच्छी स्थिति में हो और चंद्रमा और मंगल लाभ स्थान में मौजूद हो तो गोपनीय ढंग से धन प्राप्ति का योग बनता है.

अगर लग्नेश धन भाव में हो, धनेश 11वें भाव में हो और ग्यरहवें भाव का स्वामी लग्न में हो तो अपार धन लाभ का योग बनता है.

कुंडली का धनेश अगर 8वें भाव में हो और अष्टम भाव का स्वामी एक दूसरे से स्थान परिवर्तन कर ले तो भी आकस्मिक धन लाभ का योग बनता है.