भगवान की विभूतियों श्री विष्णु और शिव शंकर के धनुष कैसे हैं? क्या हैं उनके नाम? जानिए

सनातन-संस्कृति संसार की सबसे प्राचीन सभ्यताओं से एक है, जिसे दुनिया के लोग वर्तमान में हिंदू कल्चर के रूप में पहचानते हैं

सनातन धर्म के अनुयायियों में उनकी आस्था-विश्वास के अनेक तौर तरीके रहे हैं..वे ईश्वर को साकार रूप में पूजते हैं और निराकार रूप में भी

सनातन-संस्कृति में ऐसे भी अनुयायी हैं..जो मूर्ति-पूजा नहीं करते वे ध्यान-योग करते हैं..जिसे दुनिया के कई मत पंथ या समुदायों ने कुछ हजार साल पहले ही अपनाया है

लगभग 1400 साल पहले अरब की सरजमीं पर पैगंबर मोहम्मद साहब जन्मे थे, जिन्होंने इस्लाम मजहब की स्थापना की, जिसके अनुयायी गैर मूर्त-पूजक होते हैं

इस्लाम के अनुयायी मानते हैं कि ईश्वर एक ही है, जबकि यह तथ्य सनातन-संस्कृति में इस्लाम (570—632 CE) के अस्तित्व में आने से भी हजारों वर्ष पहले से बताया जाता रहा है

सनातन धर्म की पौराणिक पुस्तकों में ईश्वर की सर्वोच्च विभूतियों (ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव) के रंग रूप, उनके वस्त्र तथा अस्त्र-शस्त्रों के बारे में उल्लेख मिलता है

भगवान विष्णु चक्र, गदा और धनुष धारण करते हैं..उनके धनुष को शारङ्ग (Sharanga) कहा गया है

भगवान शिव त्रिशूल धारण करते हैं, इसके अलावा उनके 2 धनुषों का भी उल्लेख मिलता है- जिनमें एक धनुष था— पिनाक 

पिनाक धनुष शिवजी का वो धनुष था..जिसका निर्माण देवशिल्पी विश्वकर्मा ने किया था, त्रेतायुग में जब भगवान ने श्रीराम के रूप में मनुष्यावतार लिया..तो यही धनुष भंग हुआ था