श्रीकृष्ण को कब और किनसे मिला था सुदर्शन चक्र?

सनातन धर्म के ग्रंथों के अनुसार, श्रीकृष्ण भगवान के पूर्ण-पुरुष अवतार थे. वह द्वापर युग में पृथ्वी पर अवतरित हुए.

द्वापर युग में जब अधर्म (यानी बुराइयां) बहुत बढ़ गया था, दैत्य-दानवों ने त्राहि-त्राहि मचा दी थी, कंस के अत्याचारों से प्रजा त्रस्त थी, तब भगवान स्वयं मनुष्य के रूप में जन्मे.

श्री विष्णु पुराण में उल्लेख है कि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं. वह सभी अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञाता थे. हालांकि, उनका प्रमुख हथियार सुदर्शन चक्र था.

श्रीकृष्ण का नाम आते ही बहुत से लोग जिज्ञासु हो उठते हैं. कुछ लोग उनके सुदर्शन चक्र के बारे में भी जानना चाहते हैं.

बता दें कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण को मिले सुदर्शन चक्र की कहानी भी बड़ी रोचक है.

विष्णु पुराण के मुताबिक, जब श्रीकृष्ण अपने बचपन में ऋषि संदीपनि के आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, उस समय परशुरामजी ने उनको सुदर्शन चक्र सौंपा था.

परशुरामजी को सुदर्शन चक्र वरुण देव से प्राप्त हुआ था. जबकि वरुण देव को यह चक्र अग्निदेव ने भेंट किया. अग्निदेव को यह चक्र स्वयं विष्णु से मिला था.

शिव पुराण में जिक्र आता है कि सबसे पहले महादेव शिव जी ने प्रसन्न होकर श्रीहरि विष्णु को सुदर्शन चक्र प्रदान किया था.

ग्रंथों में बतलाया गया है कि सुदर्शन चक्र अचूक हथियार था. जिसे भगवान ने अपनी उंगली पर धारण किया. जो एक बार छोड़े जाने पर लक्ष्य को नष्ट कर ही लौटता था.