हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका (जितिया व्रत) व्रत पड़ता है.
संतान की दीर्घायु के लिए इस व्रत को रखा जाता है. खासतौर पर यह व्रत पुत्रों के लिए किया जाता है.
हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को महिलाएं निर्जला रहते हुए जीवित्पुत्रिका का व्रत करती हैं
जितिया व्रत में जिउतिया लॉकेट का बहुत महत्व होता है
जिउतिया लॉकेट में जीमूतवाहन की आकृति बनी होती है
जिउतिया लॉकेट को महिलाएं लाल या पीले रंग के धागे में गुथवाकर गले में धारण करती हैं
लॉकेट में तीन गांठे रहती हैं. माना जाता है कि, जिन माताओं की जितनी संतान होती है..
....जिउतिया के लॉकेट में उतनी ही जीमूतवाहन की तस्वीरें होती है
व्रत वाले दिन सबसे पहले लॉकेट को चीलो माता पर चढ़ाया जाता है
इसके बाद अगले दिन पहले बच्चे को पहनाया जाता है और फिर माता इसे अपने गले में पहनती है