इस साल देश अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा और हर साल की तरह इस बार भी इस मौके पर आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भरा हुआ दिखेगा.
यह परंपरा आज भले ही मनोरंजक लगती है, लेकिन इसकी शुरूआत खुशहाल नहीं थी. आइए जानते हैं आखिर क्या है इसका इतिहास
जब आजादी से पहले साइमन कमिशन के खिलाफ अपना विरोध जताने के लिए लोगों ने 1928 में साइमन गो बैक (Simon Go Back) के नारे लगाए थे.
इस विरोध के दौरान लोगों ने काली पतंग पर भी साइमन गो बैक लिखकर आसमान में उड़ाया था.
आजादी के बाद पतंग उड़ाने की परंपरा बरकरार रही और अब लोग इसे आजादी के प्रतीक के रूप में उड़ाते हैं.
हालांकि, आजादी के बाद पतंग उड़ाने की ये परंपरा बरकरार रही और अब लोग इस आजादी के प्रतीक के रूप में उड़ाते हैं.
आकाश में हवा में लहराती पतंग इस बात को दर्शाती है कि भारत भी अब आजाद है और खुलकर अपनी उड़ान भर सकता है.
15 अगस्त के खास मौके पर पतंग उड़ाने का महत्व भले ही बहुत खास है, लेकिन इसके कारण कई दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं.
इसलिए जरूरी है कि पतंग उड़ाते समय आप कुछ खास बातों का ख्याल रखें, ताकि आपको और आपके आस-पास के लोगों या किसी जीव को कोई नुकसान न पहुंचे.