जब बेटे के न्यूड फोटो ने इस नेता से छीन लिया था प्रधानमंत्री बनने का मौका!
5 अप्रैल 1908 को राजनीतिज्ञ बाबू जगजीवन राम का जन्म हुआ था. इमरजेंसी के बाद उनसे जुड़ा एक वाकया है, जो उस समय की राजनीतिक खींचतान की यादों को ताजा करता है.
जगजीवन राम, पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ ही इंदिरा गांधी की कैबिनेट में मंत्री रहे थे. इतना ही नहीं मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार में वह उप-मुख्यमंत्री भी रहे थे.
हालांकि मोरारजी देसाई के बेटे क्रांति देसाई का हद से ज्यादा सत्ता में हस्तक्षेप और पार्टी के अन्य दिग्गज नेताओं के आपसी विवाद के कारण ऐसा लगने लगा था कि जनता पार्टी की सरकार कुछ दिनों की ही मेहमान है.
कहा जा रहा था कि अगर मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी की सरकार गिरती है तो बाबू जगजीवन राम आसानी से सरकार बना लेंगे. हालांकि उसी समय एक ऐसी घटना हो गई, जिससे ऐसा संभव नहीं हो सका.
इस बीच 1978 में जगजीवन राम के बेटे की न्यूड तस्वीर एक पत्रिका सूर्या इंडिया ने छाप दी थी, जिसकी मालकिन इंदिरा गांधी की छोटी बहू मेनका गांधी थीं.
इंदिरा गांधी सत्ता में नहीं थीं तो इस मामले का राजनीतिक फायदा कांग्रेस ने उठाया और बेटे के फोटो कांड के कारण जगजीवन राम के रूप में देश को पहला दलित प्रधानमंत्री मिलते-मिलते रह गया.
इस कांड का आरोप चौधरी चरण सिंह पर भी लगा था, जो खुद प्रधानमंत्री बनने के दावेदार थे. फोटो के छपने में मशहूर पत्रकार खुशवंत सिंह का भी हाथ होने की चर्चा भी सियासी गलियारों में खूब हुई थी.
पुलिस ने इस संबंध में वीआईपी साउथ एवेन्यू स्थित अखिल भारतीय किसान संघ के दफ्तर पर छापेमारी करके ओमपाल सिंह को गिरफ्तार किया था. केसी त्यागी और एपी सिंह के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज की गई थी.
जनता पार्टी की अंदरूनी कलह की वजह से मोरारजी देसाई को 15 जुलाई 1979 को इस्तीफा देना पड़ा और फिर 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने थे.