दशकों से तेलंगाना की मांग चल रही थी. फरवरी 2014 में संसद में आंध्र प्रदेश का बंटवारा कर तेलंगाना का गठन करने वाला बिल पास हुआ था. इसके बाद 2 जून 2014 को तेलंगाना अलग राज्य बना.
आंध्र प्रदेश रिऑर्गनाइजेशन एक्ट की धारा 5(1) के मुताबिक, हैदराबाद को 2 जून 2014 से अगले 10 साल के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की संयुक्त राजधानी बनाया गया था.
इस कानून की धारा 5(2) में कहा गया था 10 साल बाद हैदराबाद सिर्फ तेलंगाना की राजधानी रहेगी और आंध्र प्रदेश की नई राजधानी बनाई जाएगी.
सरकार बनाने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती को राजधानी बना दिया. पीएम मोदी ने 2015 में अमरावती में नई राजधानी के निर्माण की बुनियाद भी रख दी.
दिसंबर 2019 में जगन मोहन रेड्डी नया बिल लेकर आए. जिसे 'थ्री कैपिटल बिल' का नाम दिया गया. इसमें प्रावधान था कि आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियां बनेंगी.
पहली होगी विशाखापट्टनम, जहां से प्रशासनिक काम होगा. दूसरी होगी अमरावती, जहां विधानसभा होगी और तीसरी होगी कुर्नूल जहां हाईकोर्ट होगा.
पिछले साल जनवरी में मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने ऐलान किया था कि आंध्र प्रदेश की नई राजधानी विशाखापट्टनम होगी.