जानें, पहली बार कब हुई थी बूथ कैप्चरिंग, किस पार्टी पर लगा था आरोप
देश के पहले 'बूथ लूट कांड' की कहानी, जब कामदेव सिंह ने बंदूकों के साये में की थी वोटों की लूट
चुनाव लोकसभा का हो या फिर विधानसभा का..हर बार बेगूसराय की एक घटना की चर्चा जरूर होती है. वो घटना, जब पहली बार हुई थी बूथ कैप्चरिंग.
आज से 66 साल पहले यानी 1957 के विधानसभा चुनाव में हुई वो घटना आज भी लोकतंत्र के काले अध्याय के तौर पर मौजूद है.
बताया जाता है कि वोटिंग के दिन रचियाही, मचहा, राजापुर और आकाशपुर गांव के लोग वोट करने आ रहे थे कि
अचानक हथियारों से लैस 20 लोगों ने राजापुर और मचहा गांव के मतदाताओं को रास्ते में ही रोक लिया.
इसके बाद बूथ पर पहले से ही मौजूद कुछ लोगों ने मतदाताओं को खदेड़ना शुरू कर दिया.
दूसरे पक्ष ने घटना का विरोध किया तो जमकर मारपीट हुई. इस दौरान एक पक्ष ने बूथ कैप्चर कर लिया और जमकर फर्जी वोटिंग की.
घटना का पता अगले दिन चल पाया. जिसके बाद पूरे देश में बूथ कैप्चरिंग की चर्चा शुरू हो गयी.
स्थानीय लोगों के मुताबिक जिन लोगों ने बूथ कैप्चर किया था वो कांग्रेस प्रत्याशी सरयुग प्रसाद सिंह के समर्थक थे.
गांव रचियाही के बुजुर्ग 1957 बूथ लूट की घटना को याद कर बताते हैं कि किस तरह देश में पहली बार बूथ लूटा गया और फर्जी वोट डाले गए.
सरयुग के कहने पर कामदेव सिंह ने मतपेटियां लूटी गई और बूथ पर कब्जा किया