देश भर में सात चरण में मतदान होगा. दूसरे चरण के लिए 13 राज्यों की 89 सीट पर शुक्रवार यानी 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. 

भारत में लोगों को अपनी सरकार ख़ुद चुनने का अधिकार है. हमारे देश में किसी व्यक्ति की उम्र 18 साल या उससे ज़्यादा है तो उसे वोट देने का अधिकार है. 

ऐसे में शायद ही आपको पता होगा कि हमारे देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो देश के नागरिक होने के बाद भी वोट देने का अधिकार नहीं रखते हैं. 

भारत का संविधान के अनुसार  ये लोग आख़िर वोट क्यों नहीं कर सकते और जानें इसके पीछे की वजह क्या है

मानसिक रुप से बीमार अगर किसी व्यक्ति को कोर्ट की ओर से मानसिक बीमार घोषित कर दिया जाता है, तो उसे वोट देने का भी अधिकार नहीं रहता. इस तरह के लोगों को वोट देने के योग्य नहीं माना जाता.

विदेश में रहने वाले यदि कोई भारतीय विदेश में रहने लगा है और उसने दूसरे देश की नागरिकता ले ली है, तो उसे भी वोट देने का अधिकार नहीं होता.

जेल के कैदी जो लोग जेल में हैं और वो चाहे विचाराधीन कैदी ही हो, वो वोट नहीं डाल सकते हैं. जो लोग किसी जुर्म की सजा काट रहे हैं, उनसे मतदान का अधिकार छीन लिया जाता है.

वोटर लिस्ट में नाम नहीं है अगर कोई व्यक्ति भारत का नागरिक है और लंबे समय से भारत में ही रह रहा है, लेकिन अगर उसका नाम वोटिंग लिस्ट में नहीं है तो उन्हें वोट का अधिकार नहीं दिया जाता है.

वोटर लिस्ट में नाम कैसे शामिल करें? मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए फाॅर्म 6 भरना होगा. अगर आप पहली बार वोट करने के लिए रजिस्टर कर रहे हैं तो फाॅर्म 6 भरकर अपने निर्वाचन क्षेत्र के इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर को जमा करना होगा. 

भ्रष्ट आचरण वाले लोग यदि कोई शख्स भ्रष्ट आचरण का है, तो उसे भी संविधान में वोट देने का अधिकार नहीं दिया जाता. ऐसे लोग इस अधिकार से वंचित रहते हैं. 

कौन नहीं दे सकता वोट? रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट, 1950 की धारा 62(2) के अनुसार, कोई भी व्यक्ति किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव में मतदान नहीं करेगा यदि वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 के तहत अयोग्य पाया गया है.