लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुका है और प्रधानमंत्री Narendra Modi के नेतृत्व में NDA की नई सरकार ने सत्ता की बागडोर संभाल ली है.
इस बीच खबर आ रही है कि इन चुनावों के बाद से संविधान (Constitution) के पॉकेट एडिशन की मांग अचानक बढ़ गई है. ये खबर उत्तर प्रदेश के लखनऊ से आ रही है.
इस पोस्ट में हम आपको इसकी वजह बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों लाल कवर वाले संविधान के पॉकेट एडिशन की मांग बढ़ गई है.
लाल कवर वाला संविधान का यह पॉकेट एडिशन लखनऊ स्थित Eastern Book Company ने प्रकाशित किया है. चुनाव के दौरान इसकी 5 हजार से ज्यादा कॉपियां बिक चुकी हैं.
ईस्टर्न बुक कंपनी देश में संविधान के पॉकेट एडिशन की एकमात्र प्रकाशक है. इस एडिशन की लंबाई लगभग 20 सेंटीमीटर, चौड़ाई 10.8 सेंटीमीटर और मोटाई 2.1 सेंटीमीटर है.
इसका फ्लेक्सी फोम लेदर-बाउंड कोट पॉकेट एडिशन पहली बार 2009 में लॉन्च किया गया था. तब से अब तक इसके 16 एडिशन छप चुके हैं.
कंपनी के निदेशक सुमित मलिक ने कहा कि पॉकेट एडिशन का विचार सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन का था. उन्होंने सुझाव दिया था कि ऐसा एडिशन प्रकाशित करना चाहिए जिसका इस्तेमाल आसान हो और जिसे वकील अदालत में उद्धृत कर सकें.
उनके अनुसार, वर्ष 2009 में इसकी लगभग 700 से 800 कॉपियां बिकीं और पिछले कुछ वर्षों में औसत बिक्री लगभग 5,000-6,000 कॉपी रही.
पॉकेट एडिशन 624 पन्नों में बाइबिल पेपर पर छपा है. इसमें दिल्ली के National Law University के पूर्व कुलपति प्रोफेसर रणबीर सिंह द्वारा भारतीय संविधान के निर्माण की कहानी है.
सुमित के अनुसार, जब कांग्रेस अध्यक्ष Mallikarjun Kharge और Rahul Gandhi जैसे कांग्रेस नेताओं द्वारा चुनावी रैलियों और प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस एडिशन को प्रमुखता से दिखाया गया, तो हमने पॉकेट एडिशन की मांग में अचानक वृद्धि देखी.