देश के राजनीतिक इतिहास के पन्नों से हम एक ऐसे अध्याय से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसके बारे में चर्चा करने से उस जमाने में लोग बचा करते थे. 

हालांकि ये घटना ऐसी थी कि दबे पांव पूरी देश में जंगल की आग की तरह फैल गई थी और इसका शोर विदेशों तक में भी सुनाई दिया था.

इमरजेंसी के दौरान एक अमेरिकी पत्रकार को भारत से निर्वासित कर दिया गया था. पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित इस पत्रकार का नाम लुईस एम. सिमंस (Lewis M. Simons) है. 

ये अमेरिकी पत्रकार अब लगभग 85 वर्ष के हैं. इमरजेंसी लागू होने से पहले तक वह दिल्ली में अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट के संवाददाता हुआ करते थे.

ये कहानी इस पत्रकार को इंदिरा गांधी और उनके छोटे बेटे संजय गांधी (Sanjay Gandhi) से जोड़ती है. 

दरअसल लुईस की लिखी एक खबर ने तब राजनीतिक गलियारों के साथ पूरे देश में भूचाल ला दिया था. 

अपनी खबर में उन्होंने बताया था कि एक डिनर पार्टी के दौरान संजय गांधी ने तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कई थप्‍पड़ मारे थे.

लुईस ने  बताया कि, मेरा मानना है कि इसने उस समय मां और बेटे के बीच के अजीब रिश्ते पर रोशनी डाली थी, जब यह रिश्ता भारत के लोगों पर व्यापक प्रभाव डाल रहा था.

इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को इमरजेंसी लागू कर दिया था और 21 मार्च 1977 को इसे हटाया गया था. 1977 में इंदिरा गांधी को जनता ने सत्ता से बाहर कर दिया था. 

इंदिरा गांधी से इंटरव्यू के दौरान एक ब्रिटिश पत्रकार भी मौजूद थे, जिसे इमरजेंसी के दौरान भारत से निष्कासित कर दिया गया था.