जब पहला चुनाव लड़ा तो बीजेपी को मिली थी मात्र दो सीटें,जानें कैसे पहुंची 300 पार
साल 1984 में देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई और उसी साल आम चुनाव कराए गए, जिसमें बीजेपी को सिर्फ 2 सीटें हासिल हुई.
1980 से लेकर अगले 6 साल तक रहे वाजपेयी की जगह तेज-तर्रार और राम मंदिर के मुद्दे पर मुखर होकर बोलेने वाले आडवाणी को पार्टी अध्यक्ष बनाने का फैसला पार्टी के लिए सही साबित हुआ. साल 1989 में भाजपा ने 85 सीटें जीती.
साल 1991 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 120 सीटें जीती तो साल 1996 में जीत का आंकड़ा 161 तक पहुंच गया. इस बार भी भाजपा के पास सरकार बनाने का संख्या बल नहीं था.
इसके अलावा, 1998 में भाजपा ने लोकसभा चुनाव में 182 सीटें हासिल की. एक बार फिर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की गठबंधन सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री बनाया गया.
इसके बाद साल 1999 में हुए मध्यावधि चुनाव में बीजेपी को 182 सीटें हासिल हुई. इस बार भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के साथ पूरे 5 साल तक सरकार चलाया.
21वीं सदी की शुरुआत में हुई पहली लोकसभा चुनाव यानी साल 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के आगे बीजेपी की 'इंडिया शाइनिंग और फील गुड' का नारा बेअसर साबित हुआ.
न सिर्फ साल 2004 में, बल्कि साल 2009 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को विपक्ष की जिम्मेदारी ही निभानी पड़ी.
साल 2014 में भाजपा ने 282 सीटों पर नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी 303 सीटें हासिल करने में कामयाब हुई.