ऑफिस या घर... इस चीज से महिलाओं को आ सकता है Heart Attack!
हृदय रोग पारंपरिक रूप से पुरुषों में ज़्यादा पाये जाते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में महिलाओं में भी हृदय रोगों में तेज़ी से वृद्धि हुई है.
भारत में कार्डियोवैस्कुलर समस्याओं से लगभग 35 लाख मौतें होती हैं, जिनमें से 16.9% मौतें महिलाओं की हैं.
अगर तनाव के साथ अनिद्रा भी हो, तो मेनोपॉज के बाद लगभग हर चार में से एक महिला के जीवन में उसके दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है.
तनाव से शरीर में सूजन बढ़ सकती है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर और कम ‘गुड’ एचडीएल कोलेस्ट्रॉल पर असर हो सकता है.
महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले मनोवैज्ञानिक जोखिम के तत्वों जैसे बचपन की विपत्तियों, पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, और अवसाद की संभावना भी ज़्यादा होती है.
जीवन में तलाक, पारिवारिक समस्याएं, प्रियजन की मृत्यु, लंबी बीमारी, या प्राकृतिक आपदा जैसी घटनाएं साइकोसोशल तनाव बढ़ाती हैं.
भावनात्मक तनाव से ब्लड प्रेशर और हाइपरटेंशन बढ़ते हैं, जिससे हृदय रोग हो सकता है, और कोरोनरी आर्टरीज़ में प्लाक जम सकता है.
महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन से भी तनाव और हृदय की समस्याएं बढ़ती हैं.
तनाव को नियंत्रित करके महिलाएं अपने हृदय की सुरक्षा कर सकती हैं, और एक स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकती हैं.