भारत के इतिहास और इसकी प्रशासनिक व्यवस्था में लाल किले का विशेष महत्व है
आजादी के बाद पहली बार इसी की प्राचीर से पीएम जवाहर लाल नेहरू ने अपना संबोधन दिया था
हर साल लाल किले पर 15 अगस्त के दिन देश में आजादी का जश्न मनाया जाता है
इस किले का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने कराया था
इस किले को शुरुआत में किला-ए-मुबारक कहा जाता था
1857 में हुई क्रांति के बाद अंग्रेजों ने किले को अपने कब्जे में ले लिया
साल 2007 में लाल किले को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल कर लिया था
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार जब यह इमारत बनी तब इसका रंग सफेद था
इसकी वजह यह थी कि इसके कई हिस्से चूना पत्थर से बनाए गए थे
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार समय के साथ जब यह खराब होकर गिरने लगा तो अंग्रेजों ने उसका रंग लाल करा दिया, तब से इसे 'लाल किला' कहा जाने लगा