माघी पूर्णिमा के बाद अगला शाही स्नान 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर होगा. मान्यता के अनुसार, पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान करने से आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है.
यदि आप भी महाकुंभ में स्नान के लिए जाएंगे तो आपको इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें जान लेनी चाहिए, क्योंकि इसके बिना आपका कुंभ स्नान अधूरा है.
संगम में स्नान के पश्चात सबसे पहले सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें और तुलसी की परिक्रमा करना न भूलें. इन कर्मों के बिना स्नान को पूर्ण नहीं माना जाता.
इसके अलावा, अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों को दान अवश्य करें. कुंभ स्नान के उपरांत दान करने से अत्यंत पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है.
धार्मिक मान्यता है कि शाही स्नान के उपरांत इनमें से किसी एक मंदिर के दर्शन करने से ही महाकुंभ की धार्मिक यात्रा पूर्ण मानी जाती है.
संगम स्नान के बाद अक्षयवट वृक्ष के दर्शन-पूजन भी जरूर करें. प्रयाग में स्नान के बाद जब तक अक्षयवट के दर्शन-पूजन नहीं किए जाते, तब तक इसका लाभ नहीं मिलता.
भगवान राम ने भी गंगा नदी को पार करने से पहले अक्षयवट की पूजा की थी. इस प्रकार, महाकुंभ में स्नान के बाद इन धार्मिक कार्यों को संपन्न करके ही आप पूर्ण आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं.