कभी सोचा है 'शाही स्नान' से पहले नागा साधु क्यों करते हैं 17 श्रृंगार? जानें महत्व
प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 को महाकुंभ का प्रारंभ हो चुका है. आस्था के इस पर्व में नागा साधुओं का जीवन सभी के लिए उत्सुकता का विषय है.
कुंभ में स्नान करने आए नागा साधुओं के जीवन के रहस्यों को ज्यादातर लोग जानना चाहते हैं. नागा साधु मोह माया और सांसरिक जीवन से परे माने जाते हैं.
वहीं, नागा साधुओं के बारे में यह बात भी कही जाती है कि उन्हें क्रोध बहुत ज्यादा आता है। इन बातों के अलावा क्या आप जानते हैं कि नागा साधु भी श्रृंगार करते हैं.
जिस तरह से सुहागिनों के लिए 16 श्रृंगार का विशेष महत्व है. उसी तरह नागा साधुओं के लिए 16 नहीं बल्कि 17 श्रृंगार बताए गए हैं.
वैसे तो नागा साधुओं के पास आध्यात्मिक शक्ति और भक्ति के अलावा कुछ भी नहीं होता, क्योंकि नागा का शाब्दिक अर्थ ही ‘खाली’ होता है. लेकिन ऐसे 17 श्रृंगार है जोकि नागा साधुओं के पास अवश्य होते हैं. आइए जानते हैं इन श्रृंगारों के बारे में.
नागा साधु भभूत लंगोट, चंदन, चांदी या लोहे के बने पैरों के कड़े, पंचकेश यानी लट्ट को पांच बार घुमाकर लपेटा हुआ, रोली का लेप, अंगूठी, फूलों की माला, हाथों में चिमटा, डमरू, कमंडल, जटाएं, तिलक, काजल, हाथों में कड़ा पहनते हैं.
नागा साधु अखंड चिता की भस्म लगाते हैं जो उन्हें सांसारिक मोहमाया से दूर रखता है.
नागा साधुओं की जटाएं भगवान शिव से जुड़े होने, रुद्राक्ष की माला भगवान शिव के गहनों, माथे पर 3 रेखाएं 'त्रिमूर्ति, डमरू भगवान शिव के अस्त्र का प्रतीक होता है.
ये 17 तरह के श्रृंगार नागा साधुओं के जीवन में बहुत खास अहमियत रखते हैं और इन 17 श्रृंगारों को करने के बाद ही नागा साधु पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं.