प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए आ रहे हैं और इसमें देश भर के विभिन्न अखाड़ों से साधु बाबा भी शामिल हुए हैं.

हालांकि, यह जानना मुश्किल हो सकता है कि कौन सा बाबा किस अखाड़े से है? कैसे तय होता है यह. आइए आपको बताते हैं.

दरअसल, महाकुंभ या फिर किसी बड़े धार्मिक आयोजम में अखाड़े के साधु, संतों और बाबा को पहचानने के लिए एक खास प्रक्रिया होती है.

इसके लिए उन्हें एक तरह का आईडी कार्ड या फिर प्रमाण पत्र भी दिया जाता है. जो अखाड़े से उनके जुड़े होने का प्रमाण होता है.

भारत में 13 प्रमुख अखाड़े हैं, जिनमें शैव अखाड़े, वैष्णव अखाड़े और निर्गुण (उदासीन) अखाड़े शामिल हैं.

शैव अखाड़े के साधु भगवान शिव के उपासक होते हैं, वैष्णव अखाड़े के साधु विष्णु भगवान की पूजा करते हैंऔर निर्गुण अखाड़े के साधु किसी विशेष देवता की पूजा नहीं करते.

हर अखाड़े के पास अपने साधुओं की एक लिस्ट होती है और जब कोई साधु किसी अखाड़े से जुड़ता है, तो उसे दीक्षा प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.

इसके बाद, उस साधु को अखाड़े का पहचान पत्र और प्रमाण पत्र मिलता है, जिसमें उसके धार्मिक नाम, गुरु का नाम और अखाड़े का नाम दर्ज होता है.

बता दें इन सभी अखाड़ों के अपने-अपने नियम और कायदे साधुओं को मनाने होते हैं. इनकी निगरानी महामंडलेश्वर करते हैं. जो अखाड़े के प्रमुख संत होते हैं.

महाकुंभ या अन्य बड़े धार्मिक आयोजनों में किसी फर्जी बाबा को अखाड़े में शामिल होने से रोकने के लिए यह पहचान पत्र बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है.