Ram Mandir: इस खास शैली में तैयार हुआ रामलला का मंदिर, अद्भुत हैं विशेषताएं

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या नगरी को दुल्हन की तरह सजा दिया है. 

इस खास मौके पर पूरा शहर धार्मिंक रंग में रंगा हुआ है 

रामलला की मूर्ति जहां अपने आप में ही अनगिनत विशेषताएं रखती है, वहीं इस मंदिर से जुड़े कई तथ्य भी विशेष हैं.

मंदिर के निर्माण में जहां किसी भी स्थान पर लोहा धातु का इस्तेमाल नहीं किया गया है, वहीं इसकी नींव के नीचे कुछ विशेष चीजें लगाई गई हैं.

ऐसे ही जब हम इस मंदिर की संरचना की बात करें तो ये मंदिर नागर शैली में तैयार किया गया है.

यह शैली मंदिर की संरचना के लिए विशेष मानी जाती है और इस शैली शैली से तैयार मंदिरों की अलग विशेषताएं होती हैं. 

दरअसल यह शैली उत्तर भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की ही तीन शैलियों में से एक है. यही नहीं इस शैली के साथ मंदिर में  राजस्थान से बंसी पहाड़पुर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है.

नागर शैली की बात करें तो 5वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास उत्पन्न इस शैली ने भारत के कई क्षेत्रों में मंदिर वास्तुकला को प्रभावित किया है.

इस शैली की एक विशेषता विस्तृत सीमा दीवारों या द्वारों की कमी होती है. इस तरह की शैली में गर्भगृह सदैव सबसे ऊंचे टावर के नीचे स्थित होता है. 

श्री राम दरबार पहली मंजिल पर होगा और पांच मंडप होंगे - नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप. 

राम मंदिर के मुख्य गर्भगृह 20 गुणा 20 फीट का अष्टकोणीय आकार का है, जो भगवान विष्णु के 8 रूपों को दर्शाता है.

मंदिर में 'नागर शैली' के साथ, भगवान विष्णु के 8 रूपों का भी वास्तुकला में उपयोग किया जा रहा है जो मंदिर को और ज्यादा विशेष बनाएगा.