राम मंदिर में प्रभु श्रीराम की 5 साल के स्वरुप वाली प्रतिमा, कारण है खास

अयोध्या में भगवान राम के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान शुरू हो चुका है.

17 जनवरी को भगवान की चांदी की एक प्रतीकात्मक प्रतिमा को मंदिर भ्रमण कराया गया.

18 जनवरी को उनकी मुख्य मूर्ति को आसन पर विराजमान कर पूजन कार्यक्रम शुरू कर दिया जाएगा.

मुख्य प्रतिमा के रूप में भगवान राम की पांच वर्ष के बालक रूप को मुख्य मूर्ति के रूप में चयनित किया गया है.

भगवान राम की प्रतिमा के रूप में उनका पांच वर्ष का स्वरूप ही क्यों चुना गया, बहुत सोच विचार के बाद यह निर्णय किया गया था.

अयोध्या भगवान राम की जन्मस्थली है, इसलिए इस बात पर कोई संशय नहीं था कि यहां मंदिर में उनका बालरूप ही विराजमान होना चाहिए.

श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कई अधिकारियों का सुझाव था कि भगवान राम का यहां पर वही बाल रूप होना चाहिए जिसे देखकर माताओं के अंदर ममता भाव जागे.

ट्रस्ट के कई लोग यह भी चाहते थे कि यहां भगवान राम का पूर्ण पुरुष के रूप में भव्य स्वरूप विराजमान होना चाहिए.

लेकिन अंत में सहमति इस बात पर बनी कि पांच वर्ष के रूप में भगवान राम की मूर्ति में एक बच्चे के समान उनके मुख पर कोमलता भी विराजमान हो सकती है.

यही कारण है कि अयोध्या में भगवान राम के पांच वर्ष के बच्चे के रूप में मूर्ति का चयन किया गया.