ब्रह्मांड में क्या हम अकेले हैं? यह दुनिया का सबसे बड़ा रहस्य है, जिसे सुलझाने में दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां लगातार प्रयास कर रही हैं.
इसमें सबसे बड़ी भूमिका अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की है. दरअसल, नासा ने 5 Interstellar Space Mission लांच किए थे, जिनमें सिर्फ दो स्पेसक्राफ्ट सोलर सिस्टम को छोड़कर जा पाए है जिनका नाम है Voyager 1 और Voyager 2
Voyager 2 को साल 1977 में 20 अगस्त को अमरीकी स्पेस सेंटर केप कनावरल से छोड़ा गया था, वहीं Voyager-1 को 5 सितंबर 1977 में लॉन्च किया गया था
आज दोनों अंतरिक्ष यान धरती से अरबों किलोमीटर की दूरी पर हैं. Voyager 1 तो अब हमारे सौर मंडल से भी दूर यानी करीब 20 अरब किलोमीटर दूर जा चुका है.
आज नासा दुनिया भर में बड़ी-बड़ी सैटेलाइट डिश लगाकर वोएजर से आने वाले सिग्नल पकड़ता है. इसका मकसद सौरमंडल के बाहरी ग्रहों बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण की स्टडी करना था.
वॉयजर-2 1979 में बृहस्पति ग्रह, 1981 में शनि ग्रह, 1985 में अरुण ग्रह और 1989 में वरुण ग्रह के पास से गुजरा. अपने मिशन के दौरान वॉयजर-2 ने इन ग्रहों के अनेकों राज खोले.
हालांकि, जब स्पेसक्राफ्ट धीरे-धीरे वरुण ग्रह के पास से गुजर गया तो इसका इस्तेमाल सौरमंडल के बाहर मौजूद इलाके के बारे में जानकारी लेने के लिए किया जाने लगा.