ब्रह्मांड में क्या हम अकेले हैं? यह दुनिया का सबसे बड़ा रहस्य है, जिसे सुलझाने में दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां लगातार प्रयास कर रही हैं. 

इसमें सबसे बड़ी भूमिका अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की है. दरअसल, नासा ने 5 Interstellar Space Mission लांच किए थे, जिनमें सिर्फ दो स्पेसक्राफ्ट सोलर सिस्टम को छोड़कर जा पाए है जिनका नाम है Voyager 1 और Voyager 2

Voyager 2 को साल 1977 में 20 अगस्त को अमरीकी स्पेस सेंटर केप कनावरल से छोड़ा गया था, वहीं Voyager-1 को 5 सितंबर 1977 में लॉन्च किया गया था

वहीं Voyager 2 ने करीब 17 अरब किलोमीटर का सफर तय कर लिया है. इस मिशन को NASA ने आज से 47 साल पहले, वर्ष 1970 में लॉन्च किया था. 

आज दोनों अंतरिक्ष यान धरती से अरबों किलोमीटर की दूरी पर हैं. Voyager 1 तो अब हमारे सौर मंडल से भी दूर यानी करीब 20 अरब किलोमीटर दूर जा चुका है.  

वहीं Voyager-2 से धरती तक संदेश आने में 30 घंटे लगते हैं. आज 46 साल बाद भी दोनों से नासा को हैरान करने वाली information भेज रहे है.

इनमें लगी है एक सीक्रेट gold pitted disk, जिसे खासतौर पर Alien से संपर्क करने के लिए बनाया गया था. 

आज नासा दुनिया भर में बड़ी-बड़ी सैटेलाइट डिश लगाकर वोएजर से आने वाले सिग्नल पकड़ता है. इसका मकसद सौरमंडल के बाहरी ग्रहों बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण की स्टडी करना था.

वॉयजर-2 1979 में बृहस्पति ग्रह, 1981 में शनि ग्रह, 1985 में अरुण ग्रह और 1989 में वरुण ग्रह के पास से गुजरा. अपने मिशन के दौरान वॉयजर-2 ने इन ग्रहों के अनेकों राज खोले. 

हालांकि, जब स्पेसक्राफ्ट धीरे-धीरे वरुण ग्रह के पास से गुजर गया तो इसका इस्तेमाल सौरमंडल के बाहर मौजूद इलाके के बारे में जानकारी लेने के लिए किया जाने लगा.