आज के समय में हमारी ज़िंदगी इतनी व्यस्त हो गई है कि कई बार 24 घंटे भी कम लगते हैं.

लेकिन क्या आप जानते हैं, अरबों साल पहले पृथ्वी पर एक दिन सिर्फ 10 घंटे से भी कम का हुआ करता था?

आपको बता दें धीरे-धीरे यह समय बढ़ता गया और अब चंद्रमा इसका मुख्य कारण माना जाता है. आइए जानते हैं कैसे?

असल में, चंद्रमा बहुत ही धीमी गति से पृथ्वी से दूर जा रहा है. इसका गुरुत्वाकर्षण या टाइडल फोर्स पृथ्वी पर असर डालता है, जिससे समुद्रों में उछाल आता है. 

यही बल पृथ्वी की गति को भी धीमा कर रहा है.ऐसे में आपके दिमाग में यह सवाल आ रहा होगा कि जब शुरू में चंद्रमा बना था तब आखिर दिन कितने घंटे के होते थे. 

जब चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी पर पड़ता है, तो यह पृथ्वी के जल को अपनी ओर खींचता है और महासागरों में ऊँची लहरें बनती हैं.

इस खिंचाव की वजह से पृथ्वी की ऊर्जा धीरे-धीरे चंद्रमा को ट्रांसफर होती है, जिससे वह हर साल करीब 3.82 सेंटीमीटर (1.5 इंच) दूर होता जा रहा है.

इसके नतीजे में, हर 100 साल में पृथ्वी का दिन लगभग 1.7 मिलीसेकंड लंबा हो रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में दिन और भी लंबे हो सकते हैं.

अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का कहना है कि यह छोटा सा बदलाव सुनने में भले मामूली लगे, लेकिन करोड़ों वर्षों में यह पृथ्वी की गति और जीवन को प्रभावित कर सकता है.

जब पृथ्वी और चंद्रमा का निर्माण लगभग 4.5 अरब साल पहले हुआ था, तब एक दिन महज 5 घंटे लंबा होता था.

लेकिन समय के साथ चंद्रमा के "ब्रेकिंग इफेक्ट" ने पृथ्वी की गति को धीमा कर दिया और आज हमारे दिन 24 घंटे के हो गए हैं.