अंतरिक्ष में इतिहास रचने को तैयार भारत, आज सूर्य को 'हेलो' बोलेगा  Aditya -L1

चांद पर उतरने के बाद भारत एक और इतिहास रचने के बेहद करीब है.

सूर्य मिशन पर निकला भारतीय इसरो का आदित्य एल-1 शनिवार शाम 4 बजे अपनी मंजिल लैग्रेंज प्वाइंट-1 (एल1) पर पहुंचने के साथ अंतिम कक्षा में स्थापित हो जाएगा.

यहां आदित्य 2 वर्ष तक सूर्य का अध्ययन करेगा और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा.

एल-1 प्वाइंट के आसपास के क्षेत्र को हेलो ऑर्बिट के रूप में जाना जाता है, जो सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के बीच मौजूद पांच स्थानों में से एक है, जहां दोनों पिंडों का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के बीच साम्यता है.

पृथ्वी और सूर्य के बीच इन 5 स्थानों पर स्थिरता मिलती है जिससे यहां मौजूद वस्तु सूर्य या पृथ्वी के गरुत्वाकर्षण में नहीं फंसती है. 

एल-1 बिंदु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है. यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का केवल 1 फीसदी है.

दोनों पिंडों की कुल दूरी 14.96 करोड़ किलोमीटर है.

इसरो के एक वैज्ञानिक के अनुसार हेलो ऑर्बिट सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के घूमने के साथ-साथ घूमेगा.

इसरो के इस अभियान को पूरी दुनिया में उत्सुकता से देखा जा रहा है, क्योंकि इसके सात पेलोड सौर घटनाओं का व्यापक अध्ययन करेंगे और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को डाटा मुहैया कराएंगें.