मंगल ग्रह पर पानी का सबसे बड़ा भंडार होने के मिले संकेत, स्टडी में हुआ खुलासा
वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह की बाहरी परत में गहरे नीचे पानी का एक नया भंडार खोजने में सफलता प्राप्त की है.
यह खोज नासा के एक रिटायर्ड मिशन – मार्स इनसाइट लैंडर द्वारा प्रदान किए गए डेटा के नए विश्लेषण से प्राप्त हुई है.
माना जा रहा है कि ये पानी के भंडार इतने बड़े हो सकते हैं, जो कई महासागर को आसानी से भर दें. यह पानी मंगल की सतह के नीचे 10-20 किलोमीटर की गहराई पर मौजूद है.
मार्स इनसाइट लैंडर को साल 2018 में मंगल पर उतरा था. इस लैंडर ने चार वर्षों तक मंगल की सतह पर होने वाली कंपनियों को रिकॉर्ड किया.
रिपोर्ट के हवाले से यह जानकारियां सामने आ सकी हैं. इस डेटा का अध्ययन करने के दौरान ही अब वैज्ञानिकों को तरल अवस्था में मौजूद पानी की भारी मात्रा की मौजूदगी का पता चल सका है.
मार्स इनसाइट लैंडर पर लगे सीस्मोमीटर ने इन चार सालों में 1,319 से अधिक कंपन रिकॉर्ड किए. इन कंपन का विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों को गहरे अंदर तरल जल की मौजूदगी के “सिस्मिक सिग्नल्स” मिले.
इस प्रकार की तकनीक का उपयोग पृथ्वी पर भी जल और तेल व गैस की खोज में किया जाता है. इसकी जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर माइकल मांगा ने दी.
इस खोज से पता चला है कि मंगल की परत में लगभग 10 से 20 किलोमीटर की गहराई पर जल के भंडार मौजूद हैं.
डॉ. वाशान राइट ने बताया कि “मंगल ग्रह के जल चक्र को समझना ग्रह के जलवायु, सतह और आंतरिक संरचना के विकास को समझने के लिए महत्वपूर्ण है.”
वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल की सतह पर पर्याप्त मात्रा में तरल जल मौजूद हो सकता है जो आधे मील की गहराई तक फैला हो.