फिर जागा इसरो का चंद्रयान 3, करेगा चंद्रमा पर जाने वालों की ये मदद

अपने चंद्र मिशन के बाद एक ऐसिहासिक उपब्धि में भारत के चंद्रयान-3 ने अपने विक्रम लैंडर को चंद्रमा की सतह पर एक महत्वपूर्ण नेविगेशनल उपकरण में बदल दिया है. 

चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर एक चंद्र बीकन में परिवर्तित हो गया है जिसे चंद्र लैंडिंग के दौरान भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों की सहायता और मार्गदर्शन के लिए रणनीतिक रुप से रखा गया है. 

नासा के चंद्र टोही ऑर्बिट और भारतीय अंतरिक्ष संगठन सटीक लेजर रेंज माप के लिए विक्रम लैंडर पर लेजर रेट्रोरेफ्लेक्टर एरे का उपयोग करते हुए एक अग्रणी प्रयोग में शामिल हुए. 

एलआरए, एक परिष्कृत उपकरण जिसमें आठ कॉर्नर-क्यूब रेट्रोरिफ्लेक्टर शामिल हैं. 

अब चंद्रमा की इस सतह पर एक फिडुशियल बिंदु एक सटीक रुप से स्थित संदर्भ मार्कर के रुप में कार्य करता है जो दशकों तक कठोर चंद्र वातावरण को सहन करता है. 

मात्र 20 ग्राम वजनी, एलआरए को चुनौतीपूर्ण चंद्र स्थितियों का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है जो चंद्रयान-3 मिशन में प्राप्त तकनीकी कौशल और स्थायित्व को प्रदर्शित करता है. 

चंद्र रात्रि अवलोकन के दौरान एलआरओ ने प्रयोग की सफलता की पुष्टि करते हुए एलआरए द्वारा प्रतिबिंबित संकेतों का पता लगाया. 

जैसे-जैसे आर्टेमिस मिशन गति पकड़ रहा है विक्रम लैंडर का एलआरए कम रोशनी की स्थिती में चंद्र लैंडिंग के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष यात्रियों का मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. 

यह आगे की खोज के लिए मौजूदा अंतरिक्ष यान की स्थिती को भी चिह्नित करेगा भविष्य के मानवयुक्त और मानवरहित मिशनों के लिए चंद्र ज्ञान को आगे बढ़ाने में वैश्विक सहयोग पर जोर देगा.